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राह में पड़ी चट्टान ,
चढ़कर पार करूँ,या
इसे हटाकर नयी राह,
नया दस्तूर बना दूँ,
दोनी ही विकल्प,
खड़े सामने .......
...........................................
भविष्य की चिंता छोड़ ,
इतिहास बनाने हम .....
चले वर्तमान का ..
दामन थामने...
और जब चट्टान
हटा दी राह से ,
इतिहास पीछे खड़ा ,
सराह रहा था ..और
भविष्य सामने खड़ा
मुस्कुरा रहा था......!!!!!

रचनाकार -सतीश अग्निहोत्री

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Comment

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Comment by Satish Agnihotri on September 26, 2012 at 1:22pm

सादर धन्यवाद .......PHOOL SINGH ji & Rajesh Kumar Jha

Comment by राजेश 'मृदु' on September 26, 2012 at 12:28pm

सार्थक संदेश देती एक बढि़या रचना के लिए बधाई स्‍वीकार करें, सादर

Comment by PHOOL SINGH on September 26, 2012 at 12:14pm

सतीश जी नमस्कार

बहुत ही भावपूर्ण रचना....

फूल सिंह

Comment by Satish Agnihotri on September 25, 2012 at 11:03pm

बहुत बहुत धन्यवाद् ..मुकेश जी

Comment by Mukesh Sharma on September 25, 2012 at 10:47pm

सतीश जी इस अभिव्यक्ति के लिए बधाई !

Comment by Satish Agnihotri on September 25, 2012 at 4:13pm

धन्यवाद् ....आपके ख़ूबसूरत शब्दों के लिए .....!!!!!!आभार !!!!!!....Dr.Prachi Singh ji


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 25, 2012 at 3:59pm

बहुत खूबसूरत अंदाज़ इस कविता का... हार्दिक बधाई स्वीकारें आ. सतीश अग्निहोत्री जी इस प्रभावशाली अभिव्यक्ति के लिए.

Comment by Satish Agnihotri on September 25, 2012 at 11:58am

उत्साहवर्धन एवं शुभकामनाओ के लिए .....शुक्रिया...rajesh kumari JI


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 25, 2012 at 11:46am

और जब चट्टान
हटा दी राह से ,
इतिहास पीछे खड़ा ,
सराह रहा था ..और
भविष्य सामने खड़ा
मुस्कुरा रहा था......!!!!!--बहुत सुन्दर पंक्तियाँ बहुत अच्छा लिखा शुभकामनाएं 

Comment by Satish Agnihotri on September 25, 2012 at 11:35am

धन्यवाद् ..योगी जी....

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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