पलकों पे टिकी शबनम को सुखा ले साथिया
धूप के जलते टुकड़े को बुला ले साथिया
जुल्म ढा रही हैं मुझ पर सेहरे की लडियां
इस चाँद पर से बादल को हटा ले साथिया
बिछ गए फूल खुद टूट कर राहों में तेरी
अब कैसे कोई दिल को संभाले साथिया
बिजली न गिर जाए तेरे दामन पे कोई
कर दे मेरी तकदीर के हवाले साथिया
देख के सुर्ख आँचल में लहराती शम्मा
दे देंगे जान इश्क में मतवाले साथिया
यहाँ जल रहे हैं यार सब किस्मत पे मेरी
मेंहदी वाले हाथों में छुपा ले साथिया
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Comment
आदरेया राजेशकुमारी जी
सादर, वाह! एक से बढ़कर एक शेर. किसकी तारीफ़ करूँ.बहुत ही दिल खुश कर देने वाली गजल. हार्दिक बधाई स्वीकारें.
हार्दिक आभार रेखा जी
बिजली न गिर जाए तेरे दामन पे कोई
कर दे मेरी तकदीर के हवाले साथिया ,खूबसूरत गजल ,हार्दिक बधाई राजेश जी
राजेश कुमार झा जी बहुत बहुत शुक्रिया
अम्बरीश जी बहुत- बहुत शुक्रिया
//बिजली न गिर जाए तेरे दामन पे कोई
कर दे मेरी तकदीर के हवाले साथिया//
आदरेया राजेश कुमारी जी, रवायती रंग की बेहतरीन गज़ल के लिए बहुत-बहुत मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ! सादर
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