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पलकों पे टिकी शबनम को सुखा ले साथिया

धूप के जलते टुकड़े को बुला ले साथिया 

 

जुल्म ढा रही हैं मुझ पर  सेहरे की लडियां

इस  चाँद पर से बादल को हटा ले साथिया 

 

 बिछ गए फूल खुद  टूट कर  राहों में तेरी

 अब कैसे कोई  दिल को संभाले साथिया 

 

बिजली न गिर जाए तेरे दामन पे कोई 

कर दे मेरी तकदीर के हवाले साथिया 

 

देख के सुर्ख आँचल में  लहराती शम्मा 

दे देंगे जान इश्क में मतवाले साथिया 

 

यहाँ जल रहे हैं यार सब किस्मत पे मेरी 

मेंहदी वाले हाथों में छुपा ले साथिया 

******************************** 

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Comment

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Comment by Ashok Kumar Raktale on September 12, 2012 at 7:47pm

आदरेया राजेशकुमारी जी

                   सादर, वाह! एक से बढ़कर एक शेर. किसकी तारीफ़ करूँ.बहुत ही दिल खुश कर देने वाली गजल. हार्दिक बधाई स्वीकारें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 12, 2012 at 6:09pm

हार्दिक आभार रेखा जी 

Comment by Rekha Joshi on September 12, 2012 at 5:43pm

बिजली न गिर जाए तेरे दामन पे कोई 

कर दे मेरी तकदीर के हवाले साथिया ,खूबसूरत गजल ,हार्दिक बधाई राजेश जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 12, 2012 at 5:15pm

राजेश कुमार झा जी बहुत बहुत शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 12, 2012 at 5:14pm

अम्बरीश जी बहुत- बहुत शुक्रिया 

Comment by राजेश 'मृदु' on September 12, 2012 at 4:00pm
बिजली न गिर जाए तेरे दामन पे कोई
कर दे मेरी तकदीर के हवाले साथिया
बहुत सुंदर कहा है आपने, सादर
Comment by Er. Ambarish Srivastava on September 12, 2012 at 4:00pm

//बिजली न गिर जाए तेरे दामन पे कोई 

कर दे मेरी तकदीर के हवाले साथिया//

आदरेया राजेश कुमारी जी,  रवायती रंग की बेहतरीन गज़ल के लिए बहुत-बहुत मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ! सादर

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