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आदरणीय
सादर नमस्कार, बहुत सुन्दर प्रयास है आपका, जिस प्रकार आदरणीय अम्बरीश जी सिखने में सभी को मदद कर रहे हैं मै तो कहूँगा हम जैसे हर सीखने वाले के लिए वरदान है.अवश्य ही उनकी सलाह से आप और भी उम्दा लिख सकेंगे. शुभकामनाएं.
विरोधी चाहे करें विरोध,
सदा निति के लाये अवरोध,
आरोप हरदम उसके साच,
क्या सखि नेता? नहि सखी राज.
आदरणीय अम्बरीश जी, कह-मुकरिया के प्रथम प्रयास पर आपके सुझावों
bolo ambar bhaiya ki jai !
अनुमोदन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय ......सादर
ambar ji se sahmat.................
:-)
आदरणीय लक्ष्मण जी , कह मुकरियाँ रचने के इस प्रयास के लिए बधाई मित्र !
कहमुकरियों की प्रथम, द्वितीय पंक्तियाँ समतुकांत तथा ठीक इसी प्रकार तृतीय व चतुर्थ पंक्तियाँ भी समतुकांत ही होती हैं अस्तु आपसे सादर अनुरोध है कि पहले आदरणीय योगराज जी , आदरणीय सौरभ जी व आदरणीय अलबेला जी आदि की कहमुकरियों का भरपूर अध्ययन करें! साथ-साथ कहमुकरी से सम्बंधित नियमों को पढ़ें ! तद्पश्चात ही कह-मुकरी रचने का प्रयास करें !
वारंट निकालों चाहे जितने सुझाव कितने भी निकलें वारंट
हाथ पुलिस के वे न आते चक्कर दे कर होता शंट
गुण्डों का भी पोषण करते करता पोषित गुंडे आज आज
क्या सखी नेता ? नहीं सखी राज क्या सखि नेता ? नहीं सखि राज
अतिक्रमण के है वे पौषक सुझाव अतिक्रमण का वह है पोषक
पाचन शक्ति बड़ी गजब की लुका छिपी में जैसे मूषक
कितना भी खावे, डकार न आवे नहीं डकारे खाए भोज
क्या सखी नेता ? नहीं सखी- राज क्या सखि नेता ? नहिं सखि राज
विरोधी चाहें जितना बोंले सुझाव प्रबल विरोधी कितना बोले
निति बनाकर उसको घेरे नीति बनाकर उसको तोले
आरोपों को साबित कर दे मिथ्यारोप लगा दे आज
क्या सखी नेता ? नहीं सखी राज क्या सखि नेता ? नहिं सखि राज
घोटालों से उनका नाता सुझाव घोटालों से जिसका नाता
जनता से जो करते वादा झूठे वादे खोलें खाता
सत्ता उनको बड़ी पसंद है चिपका सत्ता से जो आज
क्या सखी नेता ? नहीं सखी राज क्या सखि नेता ? नहिं सखि राज
और अंतमे दो और ----
अलबेला जिसके गुण गाए सुझाव अलबेला जिनके गुण गाए
लक्ष्मण जिसको शीश झुकाए लक्ष्मण जिनको शीश झुकाए
मेरी सराहे जो कोशिश हमें सराहें, दें आशीष
क्या सखी रक्ताले सतीश ? नहीं सखी अम्बरीश क्या सखि गुरुजन? नहिं अम्बरीष
काव्य व्याख्या करते जो सुन्दर सुझाव काव्य व्याख्या करते सुन्दर
प्राचार्य गुण है जिनके अन्दर प्राचार्य गुण जिनके अन्दर
नव-रचनाकारों को दे आशीष नव हस्ताक्षर को आशीष
क्या सखी राज योगी ?नहीं सखी अम्बरीश क्या सखि अग्रज? नहिं अम्बरीष
आदरणीय लक्ष्मण जी उपरोक्त दोनों मुकरियां आप 'अम्बरीष' के बजाय आदरणीय 'योगी' जी (योगराज जी ) पर रचते तो ये वास्तव में और भी जोरदार बनतीं ....... सादर
क्या बात है आदरणीय लड़ी वाला जी....badhai ho.
क्या बात है आदरणीय लड़ी वाला जी....
अच्छी कह-मुकरियां कहने का प्रयास किया आपने......
बस, कहीं कहीं मात्राएँ कम ज्यादा हैं,,जो अभ्यास से ठीक होती रहेंगी..........
अभिनन्दन !
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