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पोते-पोतियों से पढ़ना सीख रही है पुलिसवालों की बीबियाँ 
पुलिस वाले हैरान है,हो जाएँगी होशियार उनकी बीबियाँ | -1

पत्निया फिक्रमंद है,कही आँखे न लड़ाले ये कामवाली बाइयां,
चुपके चुपके पतियों से, पढ़ना सीख रही है कामवाली बाइयां |- 2
 
लक्ष्मण जुबां कहती प्रौड़ सिक्षा प्रसार है, होंसला तो बढाओ, 
खामखाह शक कर अपने मियाँ पर यूँ उंगलियाँ न उठाओ | -3
 
दामन किसका साफ़ है, साबित तो होने दो साथियो 
धीरज धर संसद में जिरह तो होने दो मेरे साथियों | - 4
 
कांव-कांव करने वाले भी कोई दूध के धुले नहीं है,
कैग के मुख़ियाँ भी कोई सत्यवादी हरिश्चंद्र नहीं है | -5
 
वजीरे आजम पर यूँ ही सरेआम इल्जाम न लगाओ 
खुद गिरहबान में झांको, बेवजह यूँ उंगली न उठाओ | -६
 
 
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 28, 2012 at 4:59pm

रचना पसंद करने के लिए हार्दिक धन्यवाद श्री योगी सारस्वतजी,सवालों पर सहमती तो विचारशील व्यक्ति के लिए आवश्यक भी नहीं है|व्यक्तिगत रूप से मै स्वयं भी मानता हूँ कि ऐसे घोटालों का जितना विरोध किया जाये कम है | पर संसद चलनी देना चाहिए,संसद में जोरदार तरीके से दोषियों की खिचाई की जावे तथा सफाई का भी अवसर मिले | 

Comment by Yogi Saraswat on August 28, 2012 at 4:36pm
दामन किसका साफ़ है, साबित तो होने दो साथियो 
धीरज धर संसद में जिरह तो होने दो मेरे साथियों | - 4
 
कांव-कांव करने वाले भी कोई दूध के धुले नहीं है,
कैग के मुख़ियाँ भी कोई सत्यवादी हरिश्चंद्र नहीं है | -5
आदरणीय श्री लक्षमण प्रसाद जी , आपकी रचना बहुत बढ़िया लगी किन्तु आपके उठाये हुए सवालों से सहमति नहीं बन पाती !

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