For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"श्री कृष्ण को समर्पित कुछ दोहे"

सुध-बुध सारी भूल गयी, भूली जान-अजान,
कान्हा ने जब छेड़ दी, मधुर-मुरली की तान.

मुख पर छाए लालिमा, खिले अधर मुस्कान,
कान्हां जी को कैसा लागे राधा-राधा नाम.

जिसके हरी हैं सारथि, निश्चय उसकी जीत,
जिस मन हरी बसें, उस मन प्रीत ही प्रीत.

लाज बचाई आपने, सुन अबला मन की पीर,
अबला अब सबला भयी , छोटो है गयो चीर.

दरस तुमरे पाने को, जुग-जुग जाते बीत,
भाग बढे सुदामा के, जो भये तुम्हारे मीत.

हर युग अवतार लिए, खेले क्या-क्या दांव,
निष्ठा मग्न लक्ष्मी जी, दाबे श्री हरी के पाँव.

Views: 30935

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by AjAy Kumar Bohat on August 14, 2012 at 9:13am

हौसला अफजाही का बहुत बहुत शुक्रिया राजेश जी, रेखा जी, सुरेन्द्र कुमार शुक्ला  जी, डा. प्राची जी , सौरभ सर जी, संदीप जी अशोक जी...

Comment by Ashok Kumar Raktale on August 14, 2012 at 8:43am

दरस तुमरे पाने को, जुग-जुग जाते बीत,
भाग बढे सुदामा के, जो भये तुम्हारे मीत.

आदरणीय अजय जी एक से बढ़कर एक दोहे. बधाई.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on August 11, 2012 at 2:00pm

आदरणीय इस पर्व में कृष्ण भक्ति में डूबे आपको इस पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
इस प्रयास को बहुत बहुत बधाई
किन्तु दोहों की दृष्टि से इनमे दोष हैजिन्हें गुरुजनों के विचार विमर्श के बाद आप सुधार कर सकते हैं


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 11, 2012 at 9:38am

कृष्णाष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ, अजयजी.

दोहों पर हुआ आपका प्रयास सुखकर लगा. बधाई. सतत प्रयासरत रहें.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 10, 2012 at 8:57pm
अजय बोहाट जी, बहुत सुन्दर दोहा प्रयास, कथ्य व माधुर्य बहुत बहुत बढ़िया है, बस शिल्प पर जरा सा और ध्यान दें.
जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं व बधाई इस दोहावली के लिए.
Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 10, 2012 at 12:50pm

जिसके हरी हैं सारथि, निश्चय उसकी जीत, 
जिस मन हरी बसें, उस मन प्रीत ही प्रीत. 

लाज बचाई आपने, सुन अबला मन की पीर, 
अबला अब सबला भयी , छोटो है गयो चीर. 

प्रिय अजय जी जय श्री कृष्णा बहुत सुन्दर  दोहे ...चीर हरण पर सुन्दर व्यंग्य और सन्देश भी 

जन्माष्टमी की हार्दिक शुभ कामनाये आप सपरिवार और सारी प्यारी मित्र मण्डली को भी ....
भ्रमर ५ 

 

Comment by Rekha Joshi on August 10, 2012 at 11:51am

जिसके हरी हैं सारथि, निश्चय उसकी जीत, 
जिस मन हरी बसें, उस मन प्रीत ही प्रीत. ,अति सुंदर रचना और कृष्ण जन्माष्टमी पर हार्दिक बधाई अजय जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 10, 2012 at 11:18am

वाह बहुत भक्तिमय दोहे कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ अड़सठवाँ आयोजन है।.…See More
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"अश्रु का नेपथ्य में सत्कार भी करते रहेवाह वाह वाह ... इस मिसरे से बाहर निकल पाऊं तो ग़ज़ल पर टिप्पणी…"
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं

.सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं  जहाँ मक़ाम है मेरा वहाँ नहीं हूँ मैं. . ये और बात कि कल जैसी…See More
7 hours ago
Ravi Shukla posted a blog post

तरही ग़ज़ल

2122 2122 2122 212 मित्रवत प्रत्यक्ष सदव्यवहार भी करते रहेपीठ पीछे लोग मेरे वार भी करते रहेवो ग़लत…See More
7 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागा अर्थ प्रेम का है इस जग में आँसू और जुदाई आह बुरा हो कृष्ण…See More
7 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय नीलेश जी "समझ कम" ऐसा न कहें आप से साहित्यकारों से सदैव ही कुछ न कुछ सीखने को मिल…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय गिरिराज जी सदैव आपके स्नेह और उत्साहवर्धन को पाकर मन प्रसन्न होता है। आप बड़ो से मैं पूर्णतया…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना की विस्तृत समीक्षा के लिए आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार व्यक्त करता हूँ।…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. बृजेश जी मुझे गीतों की समझ कम है इसलिए मेरी टिप्पणी को अन्यथा न लीजियेगा.कृष्ण से पहले भी…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. रवि जी ,मिसरा यूँ पढ़ें .सुन ऐ रावण! तेरा बचना है मुश्किल.. अलिफ़ वस्ल से काम हो…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. रवि जी,ग़ज़ल तक आने और उत्साह वर्धन का धन्यवाद ..ऐ पर आपसे सहमत हूँ ..कुछ सोचता हूँ…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service