कह-मुकरी
(1)
पल में सारा गणित लगाये
इन्टरनेट पर फिल्म दिखाये
मेरे बच्चों का वह ट्यूटर.
ऐ सखि साजन? नहिं कम्प्यूटर..
(2)
बड़ों-बड़ों के होश उड़ाये
अंग लगे अति शोभा पाये
डरती जिससे दुनिया सारी
क्या वो नारी? नहीं कटारी!!
(3)
रहे मौन पर साथ निभाये
मैडम का हर हुक्म बजाये
नहीं आत्मा रहता बेमन
ऐ सखि रोबट? नहिं मन मोहन!!
(4)
मोहपाश में नित्य फँसाये
सास-बहू हैं घात लगाये
उलझी जिसमें रहती बीवी
सोना चांदी? नहिं यह टीवी!!
(5)
जंतर-मंतर धूम मचाये
भ्रष्ट तंत्र को राह दिखाये
चली जोर से जिसकी आँधी
क्या सखि अन्ना? नहिं सखि गाँधी!!
--अम्बरीष श्रीवास्तव
Comment
BAHUT HI ROCHAK MUKRIYA HAIN....BADHAI...
स्वागत है आदरेया राजेश कुमारी जी, आपकी सराहना पाकर यह सृजन सार्थक हो गया ....हार्दिक आभार आदरेया !
वाह वाह वाह एक से बढ़कर एक कह्मुकरियाँ
मोहपाश में नित्य फँसाये
सास-बहू हैं घात लगाये
उलझी जिसमें रहती बीवी
सोना चांदी? नहिं यह टीवी!!-------बहुत रोचक
धन्यवाद अनुज अरुण शर्मा जी .....सस्नेह
स्वागत है रेखा जी ! सराहना के लिए हार्दिक आभार स्वीकारें !
धन्यवाद भाई योगी सारस्वत जी !
स्वागत है आदरणीय उमा शंकर जी ! कह मुकरियों को सराहने के लिए आपके प्रति हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित कर रहा हूँ ! घर के सभी बच्चों को स्नेह !
धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण जी !
स्वागत है आदरणीय भ्रमर जी !
आदरणीय भ्राताश्री बहुत ही खुबसूरत कह मुकरियाँ, हार्दिक बधाई स्वीकार करें
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