For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

साहित्यिक भाषा में बोलो बाबाजी

पहले अपने शब्द टटोलो बाबाजी
फिर तुम अपना श्रीमुख खोलो बाबाजी

साहित्य के इस मंच पे गर कुछ कहना है
साहित्यिक भाषा में बोलो बाबाजी

जीवन में सुख दुःख का सीधा मतलब है
थोड़ा हँस लो, थोड़ा रो लो बाबाजी

मान गया मैं, नहीं डरे तुम झूले पर
अब तो अपने कपड़े धोलो बाबाजी

ढाई बज गये, बाबी द्वार न खोलेगी
यहीं किसी फुटपाथ पे सो लो बाबाजी

हाथ में थी वो सारी फ़सल उड़ा डाली
साथ की खातिर भी कुछ बो लो बाबाजी

रोने से क्या संकट कम हो जायेंगे ?
आओ झूमो, नाचो, डोलो बाबाजी

'अलबेला' सब रूखापन मिट जायेगा
जीवन में तुम प्यार तो घोलो बाबाजी

-अलबेला खत्री

Views: 1118

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 27, 2012 at 2:20pm

आर्य समाज का आदर्श वाक्य है: कृण्वन्तो विश्वमार्यम्, जिसका अर्थ है - विश्व को आर्य बनाते चलो। कृण्वन्तो विश्वमार्यम् कृण्वन्तो विश्वमार्यम्. कृण्वन्तो विश्वमार्यम्. कृण्वन्तो विश्वमार्यम्. हम सब मिलकर के गाएं. हम सब करके दिखलाएं. हम ऐसा विश्व बनाएं.. कृण्वन्तो... वेदों का सन्देश सुनें हम. उपनिषदों का ज्ञान पढें हम. जग में एक गान गुन्जाएं.. कृण्वन्तो... ऋषियों का उपदेश सुनें हम. शास्त्रों का विज्ञान गुनें हम. मानव मानव यह गाए.. कृण्वन्तो... सदाचार को सब अपनाएं. श्रेष्ठ भाव सब मन में लाएं. सारे जग को आर्य बनाएं.. कृण्वन्तो विश्वमार्यम्. कृण्वन्तो विश्वमार्यम्. कृण्वन्तो विश्वमार्यम्. रचयिता - श्री चिंता मणि वर्मा (साहित्य रत्न ,B.Sc(Phys.)) संरक्षक आर्य सत्संग मंडल ,मांडले ,म्यांमा (बर्मा)

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 27, 2012 at 2:14pm

 

कृण्वन्तो विश्वमार्यम्कृण्वन्तो विश्वमार्यम्कृण्वन्तो विश्वमार्यम्कृण्वन्तो विश्वमार्यम्. हम सब मिलकर के गाएं. हम सब करके दिखलाएं. हम ऐसा विश्व बनाएं.. कृण्वन्तो... वेदों का सन्देश सुनें हम. उपनिषदों का ज्ञान पढें हम.

आभार आप का कुछ हम सीखे ..भ्रमर ५ 

Comment by Albela Khatri on July 27, 2012 at 2:13pm

राधे राधे

Comment by Albela Khatri on July 27, 2012 at 2:12pm

आपकी  सराहना  एक बार फिर सर आँखों पर......
फिर एक बार धन्यवाद आपको.........
सादर !

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 27, 2012 at 2:11pm
ह हा 
जय श्री राधे 
भ्रमर ५ 
Comment by Albela Khatri on July 27, 2012 at 2:09pm

इत्ता मुश्किल जवाब ऐसे ही थोड़े मिल जाएगा ....
बाबाजी अभी ध्यान में हैं.......
जब प्रवचन पर बैठेंगे  तो आपकी शंकाओं का निराकरण करेंगे,,,,,,,,
वैसे ये निराकरण क्या होता है  बाबाजी को भी पता नहीं...हा हा हा


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 27, 2012 at 2:06pm
बहुत  खूबसूरत अशआरों  से सजी ग़ज़ल आ. अलबेला जी. हार्दिक बधाई आपको

पहले अपने शब्द टटोलो बाबाजी
फिर तुम अपना श्रीमुख खोलो बाबाजी........ bahut badiya

साहित्य के इस मंच पे गर कुछ कहना है
साहित्यिक भाषा में बोलो बाबाजी................waah

सादर
Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 27, 2012 at 1:57pm
भैया जी अब कृण्वन्तो ....का अर्थ भी समझा दीजियेगा ..आप के आजू बाजू घेरे रहूँगा तो मै भी कुछ ले ही लूँगा गुण ढंग ..जैसे आप ने उस दिन योगराज जी से कहा ह ह़ा 
मन आया हंसाने वाले को भी थोडा हसाऊँ ....देखिये न एक शब्द छूटने से क्या टिप्पणी हो गयी जय जय हो ..ह ह़ा
Comment by Albela Khatri 16 hours ago

waah !

chhi jaankari.......

___dhnyavaad ganesh lohani ji.........

Comment by Albela Khatri on July 27, 2012 at 1:50pm

आदरणीय  सुरेन्द्र  शुक्ला भ्रमर जी,
जय हो आपकी...........
बहुत सुन्दर प्रतिक्रिया आपकी...........हाय हाय हाय
मजो आ गयो...
____आपकी बात पर तो मेरा मन एक ही बात कहता है

______कृण्वन्तो विश्वं बाबाजी ...हा हा हा

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 27, 2012 at 1:45pm

रोने से क्या संकट कम हो जायेंगे ? 
आओ झूमो, नाचो, डोलो बाबाजी

'अलबेला' सब रूखापन मिट जायेगा 
जीवन में तुम प्यार तो घोलो बाबाजी

प्रिय अलबेला जी जय श्री राधे ..जाने कहाँ ढाई बजाये... कहाँ तीर चलाये... मो को कुछ समझ न आयो ...फिर भी रचना ने कुछ सुन्दर सन्देश दियो है बाबा जी ..

बाबी रात रात भर ताके स्नेह का घट वो बाबा जी 
लेकिन झूले में मत झूलो रात रात भर बाबा जी 
अबकी तो हम मना लिए हैं मित्र जो हो तुम बाबा जी 
जनम जनम का साथ निभाना याद रखो तुम बाबा जी 
भ्रमर ५ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
32 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"//'इश्क़ ऐन से लिखा जाता है तो  इसके साथ अलिफ़ वस्ल ग़लत है।//....सहमत।"
37 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमीर जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें। "
37 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमित जी, बहुत धन्यवाद।  1 अगर जान जाने का डर बना रहे तो क्या ख़ाक़ बग़वत होगी? इस लिए,…"
40 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय यूफोनिक अमित जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
40 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
48 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ख़ुदकुशी आ गई है आदत में अब मज़ा आएगा बग़ावत में /1 आदत मतलब…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार करें।"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें  2122 1212…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें जिसको…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"मुहतरमा ऋचा यादव जी ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए आपको मुबारकबाद।  "काँटे चुभने लगे हैं…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, तरही मिसरे पर उम्दा ग़ज़ल कही है आपने, शे'र दर शे'र दाद के…"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service