For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हिडिम्बा मंदिर

 

हिडिम्बा देवी मंदिर

 

हिमाचल प्रदेश के सुदूर में व्यास नदी के किनारे बसी पर्यटन नगरी मनाली में घने देवदार वृक्षों से आच्छादित है यह मंदिर परिसर | परिसर बहुत साफ-सुथरा है । आसपास छोटी-छोटी गुलाब वाटिकाएँ हैं जिनमें अलग-अलग रंग के फूल खिलखिलाते हुए हैं, मानों भक्तों का स्वागत कर रहे हों | मंदिर के नीचे की ओर ढालान पर नगरपालिका ने भी उद्यान बनाया हुआ है जिसमें बच्चों के खेलने लिए झूले आदि लगे हैं| सन १५५३ में पगोड़ा शैली के इस मंदिर का निर्माण कुल्लू के तत्कालीन राजा राज बहादुर सिंह ने कराया था | पूरा मंदिर लकड़ी का बना है जिसकी छत भी लकड़ी से ही ढाली गई है। दीवारें भी लकड़ी की ही है जिनपर नक्कशी कर देवी-देवताओं के चित्र उकेरे गए है, जो मंदिर की सुन्दरता को बढ़ा देते हैं | मंदिर में महिषासुर मर्दिनी की मूर्ति प्रतिस्थापित है |

 

          हिडिम्बा एक राक्षसी थी जो अपने भाई हिडिम्ब के साथ रहती थी । उसे अपने भाई हिडिम्ब की वीरता पर बड़ा गर्व था उसने प्रण किया था कि जो उसे पराजित कर देगा उससे में विवाह करुँगी | वनवास के समय पांडवों का यहाँ आना हुआ था । हिडिम्ब से भीम की लड़ाई हुई थी और हिडिम्ब मारा गया | भीम ने हिडिम्बा से गंधर्व विवाह किया और एक बालक को जन्म दिया जो घटोत्कच के नाम से प्रसिद्ध हुआ | घटोत्कच वही है जिसने महाभारत में कर्ण के घातक बाण के प्रहार से अर्जुन की जान बचाते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी | हिडिम्बा राक्षसी थी लेकिन अपने तप और पतिव्रत के बल पर उसे देवी का सम्मान मिला | 

 

कुल्लू के राजा विहंगम दास जो कुल्लू के पहले राजा थे कहते हैं कि वो एक कुम्हार के यहाँ नौकरी करते थे । यह भी कहा जाता है कि देवी ने उसे साक्षात दर्शन देकर राजगद्दी पर बिठा दिया । उन्होंने जालिम ठाकुर राजा का समूल नाश कर डाला | यहाँ के लोग इन्हें अपनी कुल देवी के रूप पूजते हैं | कुल्लू के राजपरिवार के लोग इन्हें अपनी दादी मानते है | आज भी कुल्लू के मेले दशहरे हिडिम्बा देवी का शामिल होना आवश्यक माना गया है | बिना हिडिम्बा देवी की पूजा के पूरी पूजा अधूरी मानी जाती है|  मंदिर परिसर में ही घटोत्कच का भी मंदिर है | आज भी लोग उसके बलिदान की गाथा सुनाते हैं |

 

मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही बड़ी शांति व आनंद की अनुभूति होती है । होगी भी क्यों नहीं ? इस परिसर को देवदार के विशाल वृक्ष अपनी लम्बी-लम्बी शाखाओं से ढके हुए हैं । ये इस स्थल को और भी रमणीक बना देते हैं | इस मंदिर में कोई शोरशराबा  नहीं है, कोई लाउड स्पीकर नहीं बजता जिससे यहाँ का वातावरण बड़ा शांत और सुरम्य बना रहता है | दिन में इस मंदिर में कोई खास भीड़भाड़  नहीं होती है । शाम होते ही भक्तों का आना जाना बढ़ जाता है । यहाँ बैठे-बैठे पता ही नहीं लगता कब साँझ ढली और कब रात हो गई | मंदिर में रखी देवी की चरण पादुकाओं को भक्त सिर नवाते हुए अपने ऊपर आनेवाली विपदाओं से छुटकारा पाने का आशीर्वाद लेते हैं | आप भी एक बार अवश्य इस शांति का आनंद लें |

 

-- गणेश लोहानी 

Views: 1778

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Albela Khatri on July 26, 2012 at 9:39pm

waah !

chhi jaankari.......

___dhnyavaad ganesh lohani ji.........

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 26, 2012 at 7:28pm

प्रिय गणेश लोहानी जी आभार आप का ..सुन्दर छवियों के साथ दर्शन ..हिडिम्बा और महाभारत सब याद आया ..सौभाग्य से मै भी आज कल यहीं विचरण कर रहा हूँ कुल्लू -मनाली हिमाचल  में ..बहुत अच्छा लगा 

भ्रमर ५ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"वाह वाह  आदरणीय, आपकी प्रस्तुति पर पुन: आता हूँ।  करूँगा मैं चर्चा सबुर आप…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"वाह वाह  आदरणीय, आपकी इस प्रस्तुति पर पुन: आऊँगा।  शुभातिशुभ"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बहुत खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया

पलभर में धनवान हों, लगी हुई यह दौड़ ।युवा मकड़ के जाल में, घुसें समझ कर सौड़ ।घुसें समझ कर सौड़ ,…See More
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   वाह ! प्रदत्त चित्र के माध्यम से आपने बारिश के मौसम में हर एक के लिए उपयोगी छाते पर…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, कुण्डलिया छंद पर आपका अच्छा प्रयास हुआ है किन्तु  दोहे वाले…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया छंद रचा…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आती उसकी बात, जिसे है हरदम परखा। वही गर्म कप चाय, अधूरी जिस बिन बरखा// वाह चाय के बिना तो बारिश की…"
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीया "
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service