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पर्यावरण संरक्षण से सम्बंधित दोहे

वृक्षों को मत काटिए, वृक्ष धरा शृंगार.

हरियाली वसुधा रहे, बहे स्वच्छ जलधार..

 

नदियाँ सब बेहाल हैं, इन पर दे दें ध्यान.  

कचरा निस्तारित करें, बन जाएँ इंसान..

 

जैविक खेती है भली, धरती हो आबाद. 

गोबर को अपनाइए, बचे रसायन खाद..

 

अदरक गमलों में उगे, उगें टमाटर लाल.

छत पर खेती भी करें, जीवन हो खुशहाल..

 

इसे आज ही त्यागिये, कभी न होती नष्ट.

पोलिथिन या प्लास्टिक, धरती को दे कष्ट..

 

कीट नाशकों का ज़हर, वार करे यह गुप्त.

पशु पक्षी बेहाल हैं, आज हुए कुछ लुप्त..

 

दूध पिलाते जो हमें, वही बने आहार.

इनसे कैसी दुश्मनी, क्यों होता संहार..

--अम्बरीष श्रीवास्तव  

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Comment

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Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 27, 2012 at 8:40am

स्वागत है कुमार गौरव जी, इन दोहों को पसंद करने व सराहने कि लिए आपके प्रति हार्दिक आभार ...

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 26, 2012 at 8:28pm

आदरणीय अम्बरीश जी

                     सादर नमस्कार,

इसे आज ही त्यागिये, कभी न होती नष्ट.

पोलिथिन या प्लास्टिक, धरती को दे कष्ट.

प्रकृति संरक्षण की जबरदस्त वकालत करते सुन्दर दोहे.वाह!

कीट नाशकों का ज़हर, वार करे यह गुप्त.

पशु पक्षी बेहाल हैं, आज हुए कुछ लुप्त..

और दुर्लक्ष्य करने का परिणाम भी दोहे में .वाह!

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 26, 2012 at 5:00pm

कीट नाशकों का ज़हर, वार करे यह गुप्त.

पशु पक्षी बेहाल हैं, आज हुए कुछ लुप्त..

आदरणीय अम्बरीश जी ..अच्छी रचना ..सुन्दर सन्देश ...काश हम सब इन बातों का मन से ध्यान रखें तो आनंद और आये 
सत्यमेव जयते 
जय श्री राधे 
भ्रमर ५ 
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 26, 2012 at 10:18am

हरियाली वसुधा रहे, बहे स्वच्छ जलधार..
इनसे कैसी दुश्मनी, क्यों होता संहार..
वास्तव में वृक्षों की अंधाधुंध कटाई, और दूध देती गायों जैसे
चौपाया पशुओ का संहार कर हम अपनी ही बर्बादी कर रहे है |
इन पर सुन्दर दोहों के रूप में ध्यान आकृष्ट करने हेतु आप
हार्दिक बधाई के पात्र  है,भाई अम्बरीश श्रीवास्तव जी|

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on July 26, 2012 at 6:24am
वाह अम्बरीश जी, क्या दोहे कहे आपने, बधाई स्वीकारें। आपसे दोहे के सम्बन्ध में कुछ जानकारी चाहिए थी जिनकी चर्चा मैनें "दोहा रचना और विधान" में की है कृपया मार्गदर्शन करें।

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