For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जिनके सर पर बाल नहीं है बाबाजी

सुर है लेकिन ताल नहीं है बाबाजी
पॉकेट  है पर माल नहीं है बाबाजी

क्योंकर कोई चूमे हमको सावन में
अपने चिकने गाल नहीं है बाबाजी

दर्पण से उनको नफ़रत हो जाती है
जिनके सर पर बाल नहीं है बाबाजी

मेहमानों की ख़ातिरदारी कैसे हो
घर में आटा दाल नहीं है बाबाजी

देश बेच कर खाने वाले लोगों का
लोहू शायद लाल नहीं है बाबाजी

उनकी ममता घुट घुट कर मर जाती है
जिनके अपने लाल नहीं है बाबाजी

मंहगाई के बिच्छू डंक चुभाते हैं
मोटी अपनी खाल नहीं है बाबाजी

हास्यकवि 'अलबेला' ऐसा घोड़ा है
जिसके खुर में नाल नहीं है बाबाजी

-अलबेला खत्री

Views: 968

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Albela Khatri on July 20, 2012 at 12:02pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी,
विनम्र प्रभाती प्रणाम
मान गया  दादा, आपने सही जगह कान पकड़ा है . अब कोई बहाना चलने वाला नहीं है. 

इस भूल के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ
वैसे कहना मत किसी से, ये भूल नहीं है . क्योंकि  अनजाने में नहीं हुई है, ये लापरवाही है  और भविष्य में ऐसी लापरवाही  न हो  इसका ख्याल रखूँगा .

अब कान तो छोड़ो.........उफ़.......दुखता है ...
सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 20, 2012 at 11:42am

बहुत अच्छा प्रयास हुआ है, भाई जी.  लेकिन एक बात साझा करना चाहता हूँ,  कि  है और हैं को एक साथ काफ़िये में लेकर नहीं चलते. आपका मतला है को लेकर चल रहा है तो कुछ अश’आर हैं क़ाफ़िया कैसे बना सकते हैं ?

सादर

Comment by Albela Khatri on July 20, 2012 at 11:32am

बहुत बहुत धन्यवाद अरुण शर्मा जी
सादर

Comment by Albela Khatri on July 20, 2012 at 11:31am

बहुत बहुत धन्यवाद संदीप जी
सादर

Comment by Albela Khatri on July 20, 2012 at 11:29am

धन्यवाद भाई राजकुमार जी 
सादर

Comment by Albela Khatri on July 20, 2012 at 11:28am

वाह वाह लक्ष्मण प्रसाद जी
बढ़िया जुगलबन्दी  निभाई ...हा हा हा
सादर

Comment by Albela Khatri on July 20, 2012 at 11:26am

धन्यवाद आदरणीय बागी जी,
कृपया लोहू  वाला दोष दूर कर दीजिये,,,,,,,,,मैं समझ नहीं पा रहा हूँ

सादर

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 20, 2012 at 11:11am

आदरणीय अलबेला जी क्या कहने आपके और बाबा जी के, दिल बाग़-बाग़ हो गया.

अलबेला जी लेकर फिर बाबा को आए हैं.
अलबेली बात कर हम सबका मन बहलाए हैं.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 20, 2012 at 9:31am

बेहद शानदार क्या बात है सर जी
हास्य की बौछार कर देते हैं आप सुबह सुबह
बहुत बहुत बधाई आपको

देश बेच कर खाने वाले लोगों का
लोहू शायद लाल नहीं है बाबाजी

दर्पण से उनको नफ़रत हो जाती है
जिनके सर पर बाल नहीं है बाबाजी

 

Comment by Raj Kumar Rohilla on July 20, 2012 at 9:29am

अलबेला भाई आज अच्छा  लगा पढ़ कर.

बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
8 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
8 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. वैसे आपका गीत भावों से समृद्ध है.…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
23 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
yesterday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
Friday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"संवेदनाहीन और क्रूरता का बखान भी कविता हो सकती है, पहली बार जाना !  औचित्य काव्य  / कविता…"
Friday
Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
Thursday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service