लिख डाली थी प्रेम कहानी कभी बड़े अरमानों से.
नहीं क्लेश किंचित था मुझको विस्फोटी सामानों से.
देश व्यथित हो गया आज जब अपनों औ बेगानों से.
टीस उठी तो कलम उठाई निकले तीर कमानों से..
मानवता का ह्रास हो रहा बिका हुश्न बाजारों में.
कर्णधार जो बनकर आये लिप्त हुए व्यभिचारों में.
अरे भान करवा दो इनको डर उपजे गद्दारों में.
अभी चमक बाकी है यारों भारत की तलवारों में..
छले गये हैं बहुत अभी तक अब न कभी छलने देंगें.
जाति-पांति के भेदभाव में देश नहीं जलने देंगें.
शकुनी जैसी कूटनीति की दाल नहीं गलने देंगें,
भले सगाई मृत्यु करे पर श्राप नहीं पलने देंगें..
कलम लिखेगी आज कहानी झाँसी वाली रानी की .
जय होगी घर-घर में केवल वीर व्रती बलिदानी की.
यदि स्वदेश हित काम न आये है सौगंध भवानी की.
भेंट चढ़ा देना ऐ वीरों इस मक्कार जवानी की..
शैलेन्द्र कुमार सिंह "मृदु"
Comment
आदरणीय सौरभ सर सादर प्रणाम आपका शुभाशीष मिला मेरी रचनाधर्मिता को बल एवं प्रोत्साहन मिला कोटिशः नमन
अच्छी कविता बन पड़ी है शैलेन्द्र भाई. बधाई
आदरणीय तिवारी जी आपके इस स्नेहमयी शुभाशीष के लिए कोटिशः नमन अगर हमे युग बदलना है तो हमे अपने मन में ही परिवर्तन लाना होगा , कृति पर विश्वास जताने के लिए पुनः आभार
प्रिय शैलेन्द्र सिंह मृदु जी आपकी इस रचना को और आपको मै नमन करता हूँ क्यूंकि वास्तविकता में आपका यह कृतित्व समाज को एक दिशा दिखायेगा .साधुवाद
आदरणीया रेखा जोशी मैम सादर नमन उत्साह वर्धन के लिए कोटिशः आभार
कलम लिखेगी आज कहानी झाँसी वाली रानी की .
जय होगी घर-घर में केवल वीर व्रती बलिदानी की.
यदि स्वदेश हित काम न आये है सौगंध भवानी की.
भेंट चढ़ा देना ऐ वीरों इस मक्कार जवानी की..,जोश दिलाती हुई रचना पर बहुत बहुत बधाई शैलेन्द्र जी
आदरणीय संदीप कुमार पटेल जी सादर नमन आपकी प्रेरणात्मक प्रतिक्रिया मिली तो उत्साह मिला, उत्साह वर्धन के लिए बहुत बहुत आभार
बहुत सुन्दर भाई जी
इन शानदार पंक्तियों के लिए आपको साधुवाद
लहू में इक उबाल जरुरी है
जो आपकी चाँद पंक्तियाँ बखूबी ला देती हैं
बधाई आपको इस रचना हेतु
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