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लिख डाली थी प्रेम कहानी कभी बड़े अरमानों से.
नहीं क्लेश किंचित था मुझको विस्फोटी सामानों से.
देश व्यथित हो गया आज जब अपनों औ बेगानों से.
टीस उठी तो कलम उठाई निकले तीर कमानों से..

मानवता का ह्रास हो रहा बिका हुश्न बाजारों में.
कर्णधार जो बनकर आये लिप्त हुए व्यभिचारों में.
अरे भान करवा दो इनको डर उपजे गद्दारों में.
अभी चमक बाकी है यारों भारत की तलवारों में..

छले गये हैं बहुत अभी तक अब न कभी छलने देंगें.
जाति-पांति के भेदभाव में देश नहीं जलने देंगें.
शकुनी जैसी कूटनीति की दाल नहीं गलने देंगें,
भले सगाई मृत्यु करे पर श्राप नहीं पलने देंगें..

कलम लिखेगी आज कहानी झाँसी वाली रानी की .
जय होगी घर-घर में केवल वीर व्रती बलिदानी की.
यदि स्वदेश हित काम न आये है सौगंध भवानी की.
भेंट चढ़ा देना ऐ वीरों इस मक्कार जवानी की..


शैलेन्द्र कुमार सिंह "मृदु"




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Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on August 12, 2012 at 11:01pm

आदरणीय सौरभ सर सादर प्रणाम आपका शुभाशीष मिला मेरी रचनाधर्मिता को बल एवं प्रोत्साहन मिला कोटिशः नमन


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Comment by Saurabh Pandey on August 12, 2012 at 12:45pm

अच्छी कविता बन पड़ी है शैलेन्द्र भाई. बधाई

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on August 11, 2012 at 6:44pm

आदरणीय तिवारी जी आपके इस स्नेहमयी शुभाशीष के लिए कोटिशः नमन अगर हमे युग बदलना है तो हमे अपने मन में ही परिवर्तन लाना होगा , कृति पर विश्वास जताने के लिए पुनः आभार

Comment by ARVIND KUMAR TIWARI on August 11, 2012 at 6:29pm

प्रिय शैलेन्द्र सिंह मृदु जी आपकी इस रचना को और आपको मै नमन करता हूँ क्यूंकि वास्तविकता में आपका यह कृतित्व समाज को एक दिशा दिखायेगा .साधुवाद

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on August 11, 2012 at 6:24pm

आदरणीया रेखा जोशी मैम सादर नमन उत्साह वर्धन के लिए कोटिशः आभार

Comment by Rekha Joshi on August 11, 2012 at 6:10pm


कलम लिखेगी आज कहानी झाँसी वाली रानी की .
जय होगी घर-घर में केवल वीर व्रती बलिदानी की.
यदि स्वदेश हित काम न आये है सौगंध भवानी की.
भेंट चढ़ा देना ऐ वीरों इस मक्कार जवानी की..,जोश दिलाती हुई रचना पर बहुत बहुत बधाई शैलेन्द्र जी 

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on August 11, 2012 at 5:44pm

आदरणीय संदीप कुमार पटेल जी सादर नमन आपकी प्रेरणात्मक प्रतिक्रिया मिली तो उत्साह मिला, उत्साह वर्धन के लिए बहुत बहुत आभार

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on August 11, 2012 at 2:09pm

बहुत सुन्दर भाई जी
इन शानदार पंक्तियों के लिए आपको साधुवाद
लहू में इक उबाल जरुरी है
जो आपकी चाँद पंक्तियाँ बखूबी ला देती हैं
बधाई आपको इस रचना हेतु

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