For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- १५

ओबीओ के मित्र जनाब अलबेला खत्री साहेब ने एक शेर मुझसे फर्माया वो ये कि- ‘सबकुछ है इस जहान में तन्हाई नहीं है, अफ़सोस की है बात कि शनासाई नहीं है’

 

इस शेर से मुतास्सिर होके ये पूरी गज़ल लिखी गई है, पेश कर रहा हूँ, मुलाहिजा फरमाइए:  

 

तू नहीं है जिन्दगी में तो लुत्फेतन्हाई भी नहीं है

ये यूँ हैकि आग लगाई नहीं तो बुझाई भी नहीं है

 

ठहरा ठहरा है दरख्तों पे शामका इक तवील साया

शब लिखनेवालेके कलममें जैसे रोशनाईभी नहीं है  

 

रूहमें तेरे इन्तेज़ारका मीठामीठा दर्द नहीं है आज

जिस्म में हररोज की लहर-ओ-अंगडाई भी नहीं है  

 

कैसे मानूं ज़मानेका बहाना जोतू वस्लसे गुरेज़ाँ है

लोगोंकी नज़रेखम नहीं, चर्चाए-रुसवाई भी नहीं है  

 

न रही महफ़िलें गए ज़मानों की न गुलरु रक्कासें

और इस दौरके कद्रदानोंकी वैसी पार्साईभी नहीं है

 

तूही बता हमें वो जहां इस जहांमें हम जाएँ जहां  

तू नहीं है, तेरी यादें नहीं, तेरे परछाई भी नहीं है

 

वक्त तो फिरभी इन्तेज़ार करता है नए वक्त का

आदमी में कल के लिए सब्रो शिकेबाई भी नहीं है  

 

आओ आज कुछ मजे करते हैं साथ-साथ दो घड़ी

मेरा रकीबोकारिज़ और उसका तकाज़ाईभी नहीं है

 

वो कहाँ गाँव की मिल्लत, कहाँ खैरख्वाहीकी बातें  

शहरोंमें आशनाई क्या कहिए शनासाई भी नहीं है   

 

चलो आज चलते हैं सैर पे कहीं बाहर खाने राज़

आज उन्होंने रसोई की अंगीठी जलाई भी नहीं है

 

© राज़ नवादवी

भोपाल, अपराह्न ०२.४२, २७/०६/२०१२

 

तवील – दीर्घ, लंबा; गुलरु रक्कासें- फूलों जैसे चेहरों वाली नर्तकियां; पार्साई- पवित्रता; शिकेबाई- सहिष्णुता; रकीबोकारिज़- प्रेम में प्रतिद्वंदी और उधार देनेवाला; तकाज़ाई- तकाज़ा करने वाला; खैरख्वाही- कुशल-मंगल; आशनाई- मित्रता, दोस्ती; शनासाई- परिचय;

Views: 357

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on June 27, 2012 at 11:36pm

खूबसूरत हास्य गज़ल

Comment by राज़ नवादवी on June 27, 2012 at 9:20pm

जनाब शुक्रिया अलबेला साहेब.

'आपने जिन्हें खासकर अच्छा कहा,

उन अशआरोंको हमने कई बार पढ़ा.' 

- राज़ नवादवी 

Comment by Albela Khatri on June 27, 2012 at 7:46pm

बहुत खूब बन्धुवर राज़ नवादवी जी.....

उम्दा ग़ज़ल ..........

वो कहाँ गाँव की मिल्लत, कहाँ खैरख्वाहीकी बातें  

शहरोंमें आशनाई क्या कहिए शनासाई भी नहीं है   

 

चलो आज चलते हैं सैर पे कहीं बाहर खाने राज़

आज उन्होंने रसोई की अंगीठी जलाई भी नहीं है

___मुबारक़ हो.......

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

किसी के दिल में रहा पर किसी के घर में रहा (ग़ज़ल)

बह्र: 1212 1122 1212 22किसी के दिल में रहा पर किसी के घर में रहातमाम उम्र मैं तन्हा इसी सफ़र में…See More
17 hours ago
सालिक गणवीर posted a blog post

ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...

२१२२-१२१२-२२/११२ और कितना बता दे टालूँ मैं क्यों न तुमको गले लगा लूँ मैं (१)छोड़ते ही नहीं ये ग़म…See More
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"चल मुसाफ़िर तोहफ़ों की ओर (लघुकथा) : इंसानों की आधुनिक दुनिया से डरी हुई प्रकृति की दुनिया के शासक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"सादर नमस्कार। विषयांतर्गत बहुत बढ़िया सकारात्मक विचारोत्तेजक और प्रेरक रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"आदाब। बेहतरीन सकारात्मक संदेश वाहक लघु लघुकथा से आयोजन का शुभारंभ करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन…"
yesterday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"रोशनी की दस्तक - लघुकथा - "अम्मा, देखो दरवाजे पर कोई नेताजी आपको आवाज लगा रहे…"
Thursday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"अंतिम दीया रात गए अँधेरे ने टिमटिमाते दीये से कहा,'अब तो मान जा।आ मेरे आगोश…"
Thursday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"स्वागतम"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ

212 212 212 212  इस तमस में सँभलना है हर हाल में  दीप के भाव जलना है हर हाल में   हर अँधेरा निपट…See More
Tuesday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"//आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी, जितना ज़ोर आप इस बेकार की बहस और कुतर्क करने…"
Oct 26
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत धन्यवाद"
Oct 26
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी, जितना ज़ोर आप इस बेकार की बहस और कुतर्क करने…"
Oct 26

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service