For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- १

कुछ बातों की कोई इम्तेहा नहीं होती

होती है बस, कमोबेश वफ़ा नहीं होती

 

करो बहबूदीकी तमन्ना और भूलजाओ

जिसमें हो एहसान वो दुआ नहीं होती  

 

माँ माँ होतीहै लहुलुहान होकर भी माँ

बच्चोंके लिए कभी आब्लापा नहींहोती

 

गरीबों केलिए ज़्यादा गिज़ा नहीं होती

अमीरों केलिए भूखकी दवा नहीं होती

 

अगर न होती भूल आदमोहव्वा से तो

रंगभरी और दुःखभरी दुनिया नहींहोती

 

काश कि औरत न होती रागिबेपैदाइश

और मर्दमें खल्ककी तमन्ना नहींहोती

 

ये दुन्या बस खालिस अक्सेखुदा होती

विलादतोक़ज़ा रज़ा-ओ-जज़ा नहीं होती

 

मैं नहीं होतातो तू नहीं होती, मिस्लन

आब नहीं होतातो फिर हवा नहीं होती      

 

सबहैं मातहतेखातिरोअमल सिवाएखुदा   

दुनिया जिसकी मर्जीके बिना नहींहोती  

 

शाएस्तगी है मेरी जो इरशाद कहते हैं

आपजो फर्माएं हरबात बजा नहीं होती

 

अगर जो मांगो कुछ तो गुर्बा समझके  

न हो खाक्सारी तो इल्तेजा नहीं होती  

 

न करो रगबत कोई इस जहां में राज़

आए एकबार तो फिर दफा नहीं होती

 

© राज़ नवादवी

भोपाल, अपराह्न ०३.०८, २६/०६/२०१२

Views: 293

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on June 27, 2012 at 11:28pm

खूबसूरत हास्य गज़ल

Comment by राज़ नवादवी on June 26, 2012 at 11:26pm

बहुत खुशी हुई आपकी तहसीन पाके और हौसल अफजाई भी! बहुत बहुत शुक्रिया खत्री साहेब! 

Comment by Albela Khatri on June 26, 2012 at 9:22pm

वह वाह जनाब राज नवादवी  साहेब !
बहुत खूब ग़ज़ल..........
हर इक शे'र कमाल''''''''
निहाल कर दिया
खासकर यहाँ तो  आपने मुझे लूट लिया  :

शाएस्तगी है मेरी जो इरशाद कहते हैं

आपजो फर्माएं हरबात बजा नहीं होती

 

अगर जो मांगो कुछ तो गुर्बा समझके  

न हो खाक्सारी तो इल्तेजा नहीं होती 


____सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  दिनेश जी,  बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर बागपतवी जी,  उम्दा ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी,  बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। मैं हूं बोतल…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। गुणिजनों की इस्लाह तो…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश  जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया रिचा जी,  अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए।…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, आप का बहुत धन्यवाद।  "दोज़ख़" वाली टिप्पणी से सहमत हूँ। यूँ सुधार…"
7 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service