प्यारे रक्त देवता
सादर जीवनदानस्ते!
आपके जीवनदायिनी रूप को नमन करते हुए पत्र प्रारम्भ करता हूँ। अब आप सोचते-सोचते अपना सिर खुजा रहे होंगे, कि आपको इस तुच्छ प्राणी ने भला देवता क्यों कह दिया? देखिए मैं भारत देश का वासी हूँ और यहाँ जगह-जगह थान बनाकर और हर ऐरे-गैरे नत्थू खैरे की मज़ार बनाकर जब पूजा व सिज़दा किया जा सकता है, तो आपको देवता के रूप में स्वीकार करने में भला किसी को क्या आपत्ति होगी? आप देवता तुल्य हैं तभी तो समय-समय पर अपनी लीला दिखाते रहते हैं। कभी आप गुस्से से खौलने लगते हैं, तो कभी रक्त से पानी बन जाते हैं। कभी देश की रक्षा में एक-एक कतरे के रूप में काम आते हैं, तो कभी सड़कों पर बिना-बात में ही बह जाते हैं। अब आपकी शारीरिक संरचना पर बात करें तो रक्त बोले तो आप हमारे शरीर में पाए जाने वाले एक तरल संयोजी ऊतक हैं, जो रक्त वाहिनियों के भीतर विभिन्न अंगों में लगातार बहता रहता है तथा शरीर के विभिन्न भागों को जोड़ने का महत्वपूर्ण काम करता है। आपका निर्माण जीव की उत्पत्ति से लेकर जीवनपर्यंत चलता है। आपके रक्तकण तीन प्रकार के होते हैं, लाल रक्त कण , श्वेत रक्त कण और प्लैटलैट्स। लाल रक्त कणों की अधिकता होने के कारण ही आपका रंग लाल दिखाई देता है। लाल रक्त कण श्वसन अंगों से आक्सीजन लेकर सारे शरीर में पहुँचाने का और कार्बन डाईआक्साईड को शरीर से श्वसन अंगों तक ले जाने का काम करता है। इनकी कमी से रक्ताल्पा (एनिमिया) का रोग हो जाता है। श्वेत रक्त कण हानिकारक तत्वों तथा बीमारी पैदा करने वाले जीवाणुओं से शरीर की रक्षा करते हैं। प्लेटलेट्स रक्त वाहिनियों की सुरक्षा तथा खून बनाने में सहायक होते हैं।
आप मनुष्य के शरीर में करीब पाँच लीटर की क्षमता में उपस्थित रहते हैं। लाल रक्त कणों की आयु कुछ दिनों से लेकर 120 दिनों तक की होती है। इसके बाद इसकी कोशिकाएँ तिल्ली में टूटती रहती हैं। परन्तु इसके साथ-साथ अस्थि मज्जा (बोन मैरो) में इसका उत्पादन भी होता रहता है। यह बनने और टूटने की क्रिया एक निश्चित अनुपात में होती रहती है, जिससे शरीर में खून की कमी नहीं हो पाती।
आपको प्रयोगशाला में नहीं बनाया जाता, बल्कि एक व्यक्ति से लेकर दूसरे व्यक्ति को आपके विभिन्न रूपों (ए., बी., ओ., आर-एच व एच-आर इत्यादि ब्लड ग्रुप) में मैचिंग के बाद चढ़ाया जाता है। आप अनेक परिस्थितियों में जीवनदायक सिद्ध होते हैं, इसीलिए तो रक्तदान को महादान की संज्ञा दी जाती है।
आपकी महत्ता को देखते हुए ही हर बड़े अस्पताल में एक ब्लड बैंक की स्थापना की जाती है, जहाँ से आवश्यकता पड़ने पर आपको लिया जाता है तथा दान किया गया रक्त जमा कराया जा सकता है।
आपको दान करने वाले मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं:
(1) स्वेच्छा से रक्त देने वाले जिन्हें स्वैच्छिक रक्तदाता कहा जाता है। इन्हें रक्तदान करने पर एक कार्ड दिया जाता है, जिसे स्वैच्छिक रक्तदाता कार्ड कहते हैं। आवश्यकता पड़ने पर इसके द्वारा रक्त वापस भी लिया जा सकता है।
(2) अपने मित्रों या संबंधियों के लिए रक्त देने वाले जो कि अपना रक्त किसी मरीज के नाम पर देते हैं। यदि यह रक्त उस मरीज के काम नहीं आता तो वह ब्लड बैंक में जमा कर लिया जाता है।
(3) व्यावसायिक रक्तदाता वे लोग होते हैं जो धन लेकर किसी और के लिए रक्त देते हैं। ऎसा रक्त सर्वाधिक नुकसानदायक हो सकता है, क्योंकि ऎसे लोग अधिकाशतः हेपेटाइसिस, सिफिलिस अथवा एच.आइ.वी. से संक्रमित होते हैं। ऐसे रक्तदाता अधिकांशतः नशे के आदी होते हैं और अपनी नशे की जरूरत को पूरा करने के लिए ही अपना रक्त बेचते हैं।
सामान्यतः आपको उसी व्यक्ति से लिया जाता है, जो कि बिलकुल स्वस्थ हो। जिसकी उम्र 18 से 60 वर्ष के बीच हो। जिसका वजन 50 किग्रा से अधिक हो और जिसने कम से कम 12 सप्ताह पहले तक रक्त यानि कि आपको दान में न दिया हो और न ही 12 महीने में किसी से रक्त लिया हो। रक्त देने के स्थान पर किसी तरह का निशान या घाव न हो। हीमोग्लोबिन 12.5 से अधिक हो। शरीर के अन्य अंग भी नियमित काम कर रहे हों। रक्त देने से पहले भरपेट नाश्ता अथवा भोजन किया हुआ हो।
सामान्यतया उन लोगों का रक्त नहीं लिया जाता, जिन्हें आगे आने वाले 12 घंटों में लंबी यात्रा, वायु यात्रा करनी हो अथवा किसी तरह का भारी काम करना हो। साँस की बीमारी जैसे लगातार खाँसी, जुखाम, गला खराब हो, लंबे समय से एंटीबायोटिक ले रहे हों अथवा अस्थमा के मरीज जो स्टीरोइड ले रहे हों। किसी प्रकार का कोई माइनर अथवा मेजर ऑपरेशन हुआ हो। तब कुछ समयावधि तक उस व्यक्ति से रक्त नहीं लिया जाता। दिल के मरीज जो एंजाइना, ब्लॉकेज के मरीज हों। उच्च रक्तचाप के व्यक्ति जिनका रक्तचाप दवाइयों से नियमित हो परिस्थिति के अनुसार रक्त लिया जा सकता है।
हम सभी जानते हैं कि रक्तदान जीवनदान है। फिर भी जाने क्यों रक्तदान करने में हम सभी को नानी याद आ जाती है। जबकि हमारे द्वारा किया गया रक्तदान कई जिंदगियों को बचा सकता है। इस बात का अहसास हमें तब होता है जब हमारा कोई अपना रक्त के लिए जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा होता है। उस समय ही हमारी आँख खुलती है और हम उसे बचाने के लिए रक्त का इंतजाम करने के प्रयास में युद्ध स्तर पर जुट जाते हैं।
हममें से कोई भी अनायास किसी दुर्घटना अथवा किसी बीमारी का शिकार कभी भी हो सकता है। आज हम सभी शिक्षित व सभ्य समाज के नागरिक हैं, सो हमें केवल अपने बारे में ही नहीं बल्कि दूसरों की भलाई के बारे में भी सोचना चाहिए। तो क्यों न हम सब रक्तदान के पावन कार्य में अपना सहयोग प्रदान करें और लोगों को जीवनदान दें।
लोग आपको दान करने की भावना विकसित करें इसी कामना के साथ रक्तदानीय नमस्कार
आपको दान देने को तत्पर
एक भारतीय रक्तदाता
Comment
अलबेला खत्री जी, प्रदीप जी, रेखा जी, सुरेन्द्र जी और राजेश कुमारी जी आप सभी का टिप्पणियों हेतु आभार...
बहुत ही अच्छा सन्देश परक लाभकारी प्रस्तुति
सुमित जी ,रक्त के बारे में जानकारी देता हुआ अच्छा आलेख ,बधाई |
जानकारी प्रदान करता सुन्दर लेख , बधाई
raktdaan
mahadaan
_____jai ho !
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