For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

न जाने किस सागर में कश्ती का ठिकाना हो जाये

 

न जाने किस सागर में कश्ती का ठिकाना हो जाये

किस बात पे चर्चे हों जाएँ ,फिर कैसा फ़साना हो जाये  

कागज़ पे लिख लिख कर तुम  कोई सन्देशा न भेजो 
कहीं नेकी के फितरत में नहीं दुश्मन ज़माना  हो जाये 
 
न जन्नत की कोई ख्वाइश हो 
न बेअदबी फरमाइश हो 
 
हो मन में उजाला ऐसा कि रब का आना हो जाये 
न जाने किस सागर में कश्ती का ठिकाना हो जाये
 
हर पल  गुज़रे   हैं  सदियों से
हम जुड़ते जाते कड़ियों  से
 
जब यादों के कुछ फूल खिले तो ताना बाना हो जाये 
न जाने किस सागर में कश्ती का ठिकाना हो जाये
 
तू भोर का सूरज बन जाना ,
या रात का चंदा हो जाना 
 
मत भूलना अपना अक्स कभी,चाहे जुर्माना हो जाये 
न जाने किस सागर में कश्ती का ठिकाना हो जाये
 
जीना अपनी आवाजों में ,जीना अपनी अधिकारों में 
भले रंग बदल ले मौसम और अंदाज़ पुराना हो जाये 
न जाने किस सागर में कश्ती का ठिकाना हो जाये
 
जब देखूं नील आँखों से आँखों में तुम्हारी खुशियों को 
तो पन्ना पन्ना महक उठे ,मन जैसे  दीवाना हो जाये 
न जाने किस सागर में कश्ती का ठिकाना हो जाये

Views: 588

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilansh on June 15, 2012 at 7:54pm

bahut aabhaar aadarniya surya bhai

aapka protsaahan mila

uska bahut aabhar

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 14, 2012 at 11:47pm

नीलांश भाई बहुत सुंदर रचना आपने प्रस्तुत की है । क्षमा चाहूँगा पता नहीं कैसे इसको मैं पढ़ नहीं पाया। बहुत सुंदर लगी ये रचना। आपको बहुत बहुत बधाई॥

Comment by Nilansh on June 11, 2012 at 7:11pm

bahut aabhaar aadarniya pradeep ji

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 11, 2012 at 10:23am

सुन्दर भाव, बधाई आदरणीय नीलांश जी, सादर 

Comment by Nilansh on June 11, 2012 at 6:46am

aapke sneh ka bahut aabhaari hoon aadarniya ram krishna ji

Comment by Ram Krishna Khurana on June 10, 2012 at 10:25pm

बहुत अच्छी कविता है ! 

राम कृष्ण खुराना 
Comment by Nilansh on June 10, 2012 at 8:06pm

bahut aabhar yogesh ji

Comment by yogesh shivhare on June 10, 2012 at 5:13pm
जीना अपनी आवाजों में ,जीना अपनी अधिकारों में 
भले रंग बदल ले मौसम और अंदाज़ पुराना हो जाये .
 
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ ..ह्रदय छू गई ,नीलांश जी .बधाई
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
6 hours ago
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
16 hours ago
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"गंगा-स्नान की मूल अवधारणा को सस्वर करती कुण्डलिया छंद में निबद्ध रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय…"
20 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
23 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सत्तरवाँ आयोजन है।.…See More
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"सादर प्रणाम🙏 आदरणीय चेतन प्रकाश जी ! अच्छे दोहों के साथ आयोजन में सहभागी बने हैं आप।बहुत बधाई।"
Sunday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ! सादर अभिवादन 🙏 बहुत ही अच्छे और सारगर्भित दोहे कहे आपने।  // संकट में…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service