For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

साहित्य साधना इष्ट आराधना
पवित्रतम ह्रदय निस्सृत पूजा है,
निर्मल निर्झर भाव सरिता ये
उद्गम अन्तः मन जिसका है,
एक अनंत सागर है यह तो
जिसकी हर एक लहर में नशा है...

जो इसकी पूजा करते हैं
अन्तः से निर्मल होते हैं,
सुरसति के आशीष में डूबे
वो सच का दर्पण होते हैं,
धन मान का लोभ न रख कर
दुर्लभ चिदानंद बसते हैं…

पर समाज की तंग हैं गलियाँ 

इन में छल और मोह बसा है,
झूठी शानो चमक में उलझ कर
साहित्य का देखो दम निकला है,
हस्त गलत साहित्य की डोरी
पथ प्रदर्शक यहाँ सुप्त खड़ा है...

कलम की ताकत बहुत बड़ी है
इसको रे लेखक पहचानो,
बस कुछ भावों की तुकबंदी
में न इसके सार को जानो,
राह कठिन है , लक्ष्य बड़ा है
अपनी ज़िम्मेदारी मानो...

नव्युदितों को राह दिखाने
तुम्हे ही आगे आना होगा,
गलत हस्त में डोर हो जब तो
लोगों को चेताना होगा,
दिशा भ्रमित हों मूल्य जहाँ भी
तुमको अलख जगाना होगा…

Views: 1144

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 8, 2012 at 8:47pm
आदरणीय संजीव वर्मा जी
अपनी रचना पर आपकी टिप्पणी पाना मेरे लिए एक बहुमूल्य ईनाम के सामान है.
आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार . 
Comment by sanjiv verma 'salil' on June 8, 2012 at 7:26pm

कलम की ताकत बहुत बड़ी है
इसको रे लेखक पहचानो,

 

सनातन सत्य का उद्घोष करती यह रचना सनातन सत्य का उद्घोष करती यह रचना मननीय है बधाई


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 5, 2012 at 12:49pm

इस रचना में निहित भावों को सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार उमाशंकर मिश्रा जी 

Comment by UMASHANKER MISHRA on June 4, 2012 at 9:51pm

नव्युदितों को राह दिखाने
तुम्हे ही आगे आना होगा,
गलत हस्त में डोर हो जब तो
लोगों को चेताना होगा,
दिशा भ्रमित हों मूल्य जहाँ भी
तुमको अलख जगाना होगा…नव चेतना का संचार करती

अनेक भावों से सुसज्जित सुन्दर रचना....बधाई


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 4, 2012 at 9:45am
 हार्दिक आभार प्रिय महिमा श्री जी, आपको इस कृति का हर शब्द सराहनीय लगा, आपका पुनः आभार.
Comment by MAHIMA SHREE on June 3, 2012 at 10:43pm

जो इसकी पूजा करते हैं
अन्तः से निर्मल होते हैं,
सुरसति के आशीष में डूबे
वो सच का दर्पण होते हैं,
धन मान का लोभ न रख कर
दुर्लभ चिदानंद बसते हैं…

आदरणीया प्राची जी ... इस कविता में एक एक  शब्द साहित्य जगत के सत्य को उजागर कर रहे है ..

सच साहित्य तो साधना की तरह है

बहुत -२ बधाई आपको  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 3, 2012 at 5:50pm
आदरणीय गणेश बागी जी,
बहुत बहुत हार्दिक आभार...
एक साहित्यकार की कसौटी पर आपने इस कविता के उद्देश्य को सफल पाया व १००/१०० अंक दे कर मेरी ही नजरों में मेरा मान बढाया है
OBO  मंच से जुड़ कर ही मैंने भी हिन्दी काव्य साहित्य की विधाओं को सीखने की प्रेरणा पायी है,व सच में लेखनी की सार्थकता व निरर्थकता को बाँचना सीखा है.
आप सबका पुनः आभार

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 3, 2012 at 5:40pm
हार्दिक आभार चन्दन राय जी

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 3, 2012 at 4:32pm

//कलम की ताकत बहुत बड़ी है
इसको रे लेखक पहचानो,
बस कुछ भावों की तुकबंदी
में न इसके सार को जानो,
राह कठिन है , लक्ष्य बड़ा है
अपनी ज़िम्मेदारी मानो...//

एक साहित्यकार की जिम्मेदारी को आपने बहुत ही सहज रूप से निभाई हैं , भाषा , शैली, शब्द संयोजन, प्रवाह, कथ्य, सन्देश, मार्गदर्शन, चेतावनी.....क्या क्या नहीं कहती है यह कविता, कविता के नाम पर कुछ भी उल जलूल लिखने वालों के लिए आपकी कविता अध्यापिका की तरह है, आज कल तो एक नया चलन बन गया है कि किसी गध्य को छोटी छोटी पक्तियों में तोड़ कर चेप दों , बस हो गई आधुनिक कविता ....वोह !!!!!

डॉ साहिबा आप सफल हैं इस कृति में १००/१०० बहुत बहुत बधाई स्वीकार हो |

Comment by chandan rai on June 3, 2012 at 4:04pm
प्राची जी,
बहुत ही बेहतरीन लिखा है आपने ,
शब्द जैसे कोई सम्मोहन छोड़ रहे हैं

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service