For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कोशिशों के समंदर से कामयाबी के मोती ढून्ढ लायेंगे 

हौसले की पतवार से कठिनाइयों का दरिया पार कर जायेंगे 
लक्ष्य के बादल को अपनी प्रतिभा के तीर से ऐसे चीर जायेंगे 
वर्षा के सामान हमारे गुण हर दिशा में बरस जायेंगे 

हिमालय की चोटियों की  तरह  ऋतू में शीतल  रहेंगे
क्रोध अहंकार और लालच को कभी नहीं अपनाएंगे 
सरिता के जल के  सामान हमेशा प्रयत्नरत  रहेंगे
किसी भी बाधा के आ जाने पर हम नहीं रुकेंगे 
आत्मविश्वास की मशाल से निराशा रूपी अंधकार को बुझाएंगे
गंगाजल की तरह शुद्ध हमारे आचरण को बनायेंगे 
खुद तो शुद्ध बनेंगे ही, औरों को भी पवित्र बनायेंगे
महापुरुषों और देवों  की तरह सदाचार अपनाएंगे
तारों की तरह टूटेंगे नहीं सूर्य की तरह सदा  जगमगायेंगे 
मौकों को तालेशेंगे नहीं , खुद को मौका बनायेंगे 
परजीवियों  की तरह रेंगेंगे नहीं , परिंदों की तरह उड़ के दिखलायेंगे
राष्ट्र को ही नहीं ,समूची मानवता को इस जीवन में कुछ नया देकर जायेंगे |
 

Views: 901

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rohit Dubey "योद्धा " on May 30, 2012 at 10:22pm

Bahut bahut dhanyawad aap sabhi priyajano ka ..............Dr.Prachi Singh jee , UMASHANKER MISHRA jee rajesh kumari jee bahut bahut dhanyawad


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 30, 2012 at 10:06pm

आत्म विशवास से ओतप्रोत रचना बहुत उत्कृष्ट भाव ....बधाई आपको 

Comment by UMASHANKER MISHRA on May 30, 2012 at 10:00pm

सकारात्मक, नवजवानों में बी कोम्प्लेक्स को प्रवाहित कर देने वाली रचना

आपके विचार आपकी भावनाओं को ईश्वर बनाये रखे ...बधाई


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 30, 2012 at 9:01pm

आपके बुलंद हौसलों का हार्दिक अभिवादन.. इस रचना हेतु बहुत बहुत बधाई रोहित दूबे जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Tuesday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service