For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ समय में यहाँ से चले जायेंगे,
इक नयी ज़िन्दगी को फिर अपनाएंगे|
याद आएगा कुछ, कुछ भूलेगा नहीं,
बाँध यादों की गठरी को ले जायेंगे|

क्या पता होगा अपना ठिकाना कहाँ,
क्या करें तय की हमको है जाना कहाँ|
मंजिल सामने होके आवाज देगी,
वक़्त के रास्ते हमको आजमाएंगे|
कुछ समय में .......................

तब तमाम ऑफिस के छोड़ कर मामले,
जी होगा साथ दोस्तों के कॉलेज चलें|
तब न होंगे ये दिन, ये समय, ये घडी,
गर होंगे तो ये दिन ही नज़र आयेंगे|
कुछ समय में................................

जी करेगा चलो आज बंक मार लें,
दूसरों का असाइनमेंट उतार लें|
चाह कर भी न कर पायेंगे ये कभी,
दबा कर के तमन्ना घुटे जायेंगे|
कुछ समय में यहाँ से चले जायेंगे,
.................................................

Views: 488

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by आशीष यादव on December 7, 2010 at 6:57am
आप logon को मेरी यह रचना पसंद आई, बहुत-बहुत धन्यवाद
Comment by Anupama on December 4, 2010 at 12:45am
समय बीत जाता है...
यादें रह जाती हैं!
सुन्दर !
Comment by baban pandey on November 29, 2010 at 1:21pm
जीवंत वर्णन
Comment by Lata R.Ojha on November 28, 2010 at 1:19pm
सच है ..साथ तो बस यादों की गठरी ही जाती है..और मज़ा ये की दे कर भी जाते हैं यादों की गठरी ही..बहुत सुंदर रचना है :)
Comment by Ajay Singh on November 26, 2010 at 9:46pm
जी करेगा चलो आज बंक मार लें,
दूसरों का असाइनमेंट उतार लें|
bhai last sem ki tarah is semester me to doosron k assignment se kam nhi chalega,tumne ek bar fir last sem ki yade taja kar di
veryy,,,,,,Good .. . .
Comment by Raju on November 26, 2010 at 3:41pm
hum jaise last year wale students ke liye bahut hi badhiya rachna
Comment by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on November 25, 2010 at 8:55pm
तब तमाम ऑफिस के छोड़ कर मामले,
जी होगा साथ दोस्तों के कॉलेज चलें|
तब न होंगे ये दिन, ये समय, ये घडी,
गर होंगे तो ये दिन ही नज़र आयेंगे|
कुछ समय में................................

जी करेगा चलो आज बंक मार लें,
दूसरों का असाइनमेंट उतार लें|
चाह कर भी न कर पायेंगे ये कभी,
दबा कर के तमन्ना घुटे जायेंगे|
कुछ समय में यहाँ से चले जायेंगे,
.................................................
बहुत बढ़िया आशीष जी ...सबको जाना है यादों की गठरी साथ ले कर ..बहुत कुछ छूटेगा लेकिन मिलेगा भी बहुतकुछ ..कुछ उस पर भी लिखिए ...बढ़िया लिखते रहिये अच्छा लगता है
Comment by GOPAL BAGHEL 'MADHU' on November 25, 2010 at 1:40am
Bahut acchii hae
Comment by Julie on November 25, 2010 at 12:52am
waah... aapki rachna nein to poorane din yaad dila diya... bahut hi sunder... Badhaai...!!
Comment by आशीष यादव on September 29, 2010 at 10:45pm
Thank you BAGI JI. Bs aap log sneh bna k rakhe.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
20 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service