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//कोशिश//

तूने शब् -ऐ -विसाल को आने नहीं दिया ,
मैंने भी इस मलाल को आने नहीं दिया .
रखा है खुद को दूर तेरी याद से बहुत
दिल में तेरे ख्याल को आने नहीं दिया !
------------------------------------------
//पहचान//

नाम -ओ -निशान मेरा मिटेगा नहीं कभी
गुलशन में खुश्बुओ की झलक छोड़ जाऊंगा
गुलचीं मसल के देख मुझे मै वो फूल हूँ
हाथो में तेरे अपनी महक छोड़ जाऊंगा !
--------------------------------------------

/मिजाज़//

यूँ ज़ख्म सज रहे है मेरे दिल के दरमियाँ
जैसे मेरी कमीज़ पे धागे के काज है
दिल है तेरे हवाले इसे रख संभाल कर
पुर्जे हमारे जिस्म के नाज़ुक मिज़ाज है

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 25, 2010 at 11:16am
गुलचीं मसल के देख मुझे मै वो फूल हूँ
हाथो में तेरे अपनी महक छोड़ जाऊंगा !

बहुत खूब क्या अर्थ छोड़ जाता है यह शे'र , मुझे बर्बाद करने वाले मैं तुझे भी अपनी खुशबूं दूंगा, जबरदस्त,
Comment by Hilal Badayuni on September 24, 2010 at 7:10pm
बहुत बहुत शुक्रिया भाई प्रभाकर
जो आप मेरी हौंसला अफजाई वक़्त-बा-वक़्त फरमाते रहते है

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on September 24, 2010 at 11:16am
//जैसे मेरी कमीज़ पे धागे के काज है//
वाह वाह वाह, इस मिसरे ने तो दिल जीत लिया हिलाल साहिब !

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