For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

                  -नसीब-

कहते हैं,नसीब से जो होता है,वो बहुत अच्छा होता है,
नसीब से ही मिलना और नसीब से ही कोई जुदा होता है,
बिछड जाते है अपने दिल के टुकड़े भी कभी-कभी.. 
देता है खुदा वही जो हमारे लिये अच्छा होता हैं ll

 

नसीब के भरोसे न कभी हाथ पे हाथ धर बैठना यारो,
न होना परेशां जो न मिल पाये मेहनत का फल यारो,
इंसान की मेहनत के आगे दुनिया का सर भी झुका होता हैं,
देता है खुदा वही जो हमारे लिये अच्छा होता हैं ll

 

क्यूँ रोता है,खुद को बेबस समझ नाहक यूँ जार-जार,
चल पोंछ आँसू लड़ जा अपनी किस्मत से बार-बार,
मुट्ठी भर मुश्किलों में ही बस क्यूँ हताश होता हैं l
देता है खुदा वही जो हमारे लिये अच्छा होता हैं ll

 

आशा की बस एक लौ ही काफी है अंधेरों के लिये,
कुछ न कुछ तो हैं इस जहान में सब के लिये,
कर तो इंतज़ार दो घड़ी सब्र का फल मीठा होता हैं,
देता है खुदा वही जो हमारे लिये अच्छा होता हैं ll —प्रवीण कुमार पर्व 

Views: 543

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by praveen on May 6, 2012 at 6:28pm

SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR जी, Arun Kumar Pandey 'Abhinav' जी,  PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA जी मेरी रचना आप लोगो को  पसंद आयी...मैं धन्य हुआ ..सादर आभार आपका..!!

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 6, 2012 at 12:14am

क्यूँ रोता है,खुद को बेबस समझ नाहक यूँ जार-जार,
चल पोंछ आँसू लड़ जा अपनी किस्मत से बार-बार,
मुट्ठी भर मुश्किलों में ही बस क्यूँ हताश होता हैं l
देता है खुदा वही जो हमारे लिये अच्छा होता हैं ll

 

आशा की बस एक लौ ही काफी है अंधेरों के लिये,
कुछ न कुछ तो हैं इस जहान में सब के लिये,
कर तो इंतज़ार दो घड़ी सब्र का फल मीठा होता हैं,

प्रवीण जी जोश जगाती रचना ...सुन्दर सन्देश ..सच में सब्र का फल मीठा ही होता  है .आप का सब्र से लिखना हम सब को मिठास दे गया .... शुभ कामनाएं ..जय श्री राधे -भ्रमर ५ 

Comment by Abhinav Arun on May 5, 2012 at 8:03pm

सुन्दर सकारात्मक भावों की इस रचना के लिए भी श्री प्रवीण जी को हार्दिक बधाई !!

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 5, 2012 at 1:12pm

नसीब के भरोसे न कभी हाथ पे हाथ धर बैठना यारो,
न होना परेशां जो न मिल पाये मेहनत का फल यारो,
इंसान की मेहनत के आगे दुनिया का सर भी झुका होता हैं,
देता है खुदा वही जो हमारे लिये अच्छा होता हैं ll

बहुत सुन्दर ,प्रेरणा दायक   रचना बधाई.

Comment by praveen on May 4, 2012 at 11:44pm

 Saurabh Pandey जी सादर आभार !! :)


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 4, 2012 at 11:32pm

इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें प्रवीण जी.

Comment by praveen on May 4, 2012 at 10:57pm

MAHIMA SHREE जी ,  Seema agrawal दीदी , rajesh kumari  जी सादर आभार आपका..कि आपने मेरे लिखे का इतना मान दिया..

Comment by MAHIMA SHREE on May 4, 2012 at 4:40pm
आशा की बस एक लौ ही काफी है अंधेरों के लिये,
कुछ न कुछ तो हैं इस जहान में सब के लिये,
प्रवीन जी, नमस्कार ..
सकरात्मक सोच और जीवन के यथार्थ से परिचय कराती रचना के लिए बधाई स्वीकार करे

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 4, 2012 at 12:53pm

पूरी  कविता आशा की किरण को साथ लेकर हौंसले बढ़ाती   हुई आगे बढती है 

और अंत में.......... आशा की बस एक लौ ही काफी है अंधेरों के लिये,     

कुछ न कुछ तो हैं इस जहान में सब के लिये,
कर तो इंतज़ार दो घड़ी सब्र का फल मीठा होता हैं,

देता है खुदा वही जो हमारे लिये अच्छा होता हैं........    ये पंक्तियाँ तो सम्पूर्ण  कविता का सार अपने में समेटे हुए हैं  ..बहुत सुन्दर . 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"छिपन छिपाई खेलता,सूूरज मेघों संग। गर्मी के इस बार कुछ, नर्म लग रहे रंग।। -- पथिक थका रवि से कहे, मत…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तू जो मनमौजी अगर, मैं भी मन का मोर आ रे, सूरज आजमा, किसमें कितना जोर     मूरख…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी कोशिशों पर तो हम मुग्ध हैं, शिज्जू भाई ! आप नाहक ही छंदों से दूर रहा करते हैं.  किसको…"
9 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहा आधारित एक रचना: प्यास बुझाएँगे सदा सूरज दादा तुम तपो, चाहे जितना घोर, तुम चाहो तो तोड़ दो,…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, सदा की भाँति इस बार भी आपकी रचना गहन भाव और तार्किक कथ्य लिए हुए प्रस्तुत…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रदत्त चित्र को सार्थक दोहावली से आयोजन का शुभारम्भ हुआ है.  तन…"
10 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   पैसा है तो पीजिए, वरना रहो अधीर||...........वाह ! वाह ! लाख टके की बात कह दी है आपने.…"
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय शिज्जु शकूर जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर दोहे रचे हैं आपने. सच है यदि धूप न हो…"
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"    आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रस्तुत दोहों की सराहना के लिए आपका हृदय…"
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रस्तुत दोहों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से आभार. आपकी…"
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  जी ! भाई लक्ष्मण धामी जी आप जो कह रहे हैं मन के मार्फ़त या दिल के मार्फ़त उस बात को मैं समझ…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्रानुसार उत्तम छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service