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आतंकवाद (लघुकथा)

आखिर पुलिस ने उस दुर्दांत आतंकवादी को मार गिराया, उसे मार गिराने वाले पुलिस अफ़सर की बहादुरी की भूरि भूरि प्रशंसा हो रही थी तथा उसके लिए बड़े बड़े सम्मान देने की घोषणाएं भी हो रहीं थी. मीडिया का एक बड़ा दल भी आज उसका साक्षात्कार लेने आ रहा था. इसी सिलसिले में वह बहादुर अफ़सर तैयारियों का जायजा लेने पहुँचा.

"सब तैयारियां हो गईं?" उसने एक अधीनस्थ से पूछा
"जी सर !"
"क्या किसी ने लाश की शिनाख्त की:"
"नहीं सर, चेहरा इतनी बुरी तरह से क्षत विक्षत हो चुका था कि पहचान असंभव थी"
"क्या कोई उसकी लाश लेने पहुँचा था ?"
"जी नहीं सर"
"ओके !, क्या किसी को इस सिलसिले में कुछ कहना या पूछना है?"
तभी एक कांस्टेबल ने धीरे से उस अधिकारी के कानो में कहा:
"उसकी रिक्शा का क्या करें सर?".     

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Comment by Er. Ambarish Srivastava on April 27, 2012 at 12:08am

आदरणीय प्रधान संपादक जी,

//"उसकी रिक्शा का क्या करें सर?". //

दिमाग को सन्न कर देने वाली आज के दौर की वास्तविकता पर आधारित इस लघुकथा हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें !

Comment by वीनस केसरी on April 26, 2012 at 10:23pm

उफ्फ्फ्फ़
गजब


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 26, 2012 at 7:40pm

आदरणीय योगराज प्रभाकर जी, निःशब्द हूँ इस लघु कथा को पढ़कर, क्या स्ट्रोक दिया है, अंतिम पक्ति सन्न से तीर की भाति हिट कर रही है , कथ्य, शिल्प, चरित्र चित्रण, प्रस्तुति सब कुछ उम्दा, आप से बहुत कुछ सीखना है, इस लघु कथा हेतु बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें |

Comment by Rohit Sharma on April 26, 2012 at 6:56pm

इस राजसत्ता के तथाकथित मानवीय चहरे पर जबरदस्त question ???

Comment by MAHIMA SHREE on April 26, 2012 at 4:02pm
आदरणीय योगराज सर , सादर नमस्कार
पुलिसिया अत्याचार और अनाचार का खोफनाक चेहरा .. कितनी सादगी से आपने रख दिया ..
बधाई स्वीकार करें
Comment by AVINASH S BAGDE on April 26, 2012 at 3:43pm

"Atankwad" ek "Giddh" ki tarah hamare hi desh me baitha hai....Bagi ji tatha Yogiraj ji...dono laghukathaye hamare desh k pulisatv ki kalai kholti hai

Comment by AVINASH S BAGDE on April 26, 2012 at 3:39pm

Yogiraj ji bahut khoob.

SATEEK V SARTHAK LAGHUKATHA

Wah!

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 26, 2012 at 2:05pm

आदरणीय योगराज   जी, सादर

जमीनी हकीकत को बयां  करती  रचना .   कडुआ सच.  बधाई. 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 26, 2012 at 12:27pm

वाह योगराज जी सही नब्ज पर हाथ रखा है आपने आज पुलिस की इस कडवी सच्चाई की बखिया  उधेड़ दी सच में ये ही तो हो रहा है आजकल |आपकी लघु कथा आज के सिस्टम पर कुठाराघात है |आपको बधाई |

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