For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जिससे इंसां का भी दर्जा नहीं पाया हमने......

जिनसे इंसां का भी दर्जा नहीं पाया हमने,

मुद्दतों ऐसे ही इंसानों को पूजा हमने.

.

प्यार की पौध के मिटने से तो मर जायेंगे,

खून के अश्क से बागान को सींचा हमने.

.

हाँ उजाला नहीं होना मेरी इन राहों में,

शम्स ए पुरनूर से पाया ये अँधेरा हमने.

.

हमने मुंसिफ के भी हाथों में जो खंजर देखे,

कांपता दिल था मुक़दमा नहीं डाला हमने.

.

वहशी लोगों में किसी कांच से नाज़ुक हम थे,

हुज्जतों से बड़ी दामन ये बचाया हमने.

(कमी लगी तो इस्लाह की गुज़ारिश है....)

Views: 382

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by इमरान खान on August 6, 2012 at 12:50pm

बहुत बहुत शुक्रिया वीनस भाई

Comment by वीनस केसरी on April 23, 2012 at 2:58pm

सुन्दर भाव
बेहतरीन कहन

बधाई स्वीकारें

Comment by इमरान खान on April 23, 2012 at 9:50am

@राणा प्रताप जी!
तहे दिल से शुक्रिया आपका... :)
एक मतले की कमी..... मतले में कुछ कमी रह गयी या मुझे एक मतला और कहना चाहिए था .. थोरा इशारा करें तो समझने आसानी हो जाये...

Comment by इमरान खान on April 23, 2012 at 9:48am

@संदीप जी!
आपको मेरी कोशिश पसंद आई मसर्रतों का मुकाम है मेरा... बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by इमरान खान on April 23, 2012 at 9:47am

@प्रदीप कुमार जी!  शुक्रिया आपका


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on April 22, 2012 at 1:00pm

अच्छी गज़ल कही है इमरान भाई| मुकद्दमे वाला शेर अच्छा लगा| एक मतले की कमी भी खली|

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on April 21, 2012 at 8:32pm

हाँ उजाला नहीं होना मेरी इन राहों में,

शम्स ए पुरनूर से पाया ये अँधेरा हमने

वाह इमरान भाई... क्या ख़ूब ग़ज़ल कही आपने| ख़ास तौर पर इस शेर में जो विरोधाभास अलंकार है वो मुझे बड़ा भाया| मुबारकबाद क़ुबूल करिये| :-))

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 21, 2012 at 2:52pm

 हमने मुंसिफ के भी हाथों में जो खंजर देखे,

कांपता दिल था मुक़दमा नहीं डाला हमने.

.bahut khoob bhai ji. badhai.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service