देश मेरे में
अजूबे ही अजूबे
करें नमन
लोग पैर छूकर ।
धरती यहाँ
कहलाती माता
गुरु का दर्जा
ईश्वर से ऊपर ।
मान देवता
हो पूजा प्रकृति की
कर्म जीवन
फल देता ईश्वर ।
चाहें दिल से
करें रिश्तों की कद्र
छोटों से प्यार
दें बड़ों को आदर ।
नहीं बनाते
पत्थर के मकान
लोग यहाँ पे
बनाते सदा घर ।
न डरें कभी
न कभी घबराएं
आफत से भी
मिलें मुस्कराकर ।
लगते मेले
ख़ुशी में नाचें लोग
भांति-भांति के
त्यौहार यहाँ पर ।
दुःख बटाएँ
अक्सर दूसरों का
रहते लोग
मदद को आतुर ।
क्या बताऊं मैं
विशेषता इसकी
नहीं समाती
कागज के ऊपर ।
रंग अनेक
भाषाएँ भी अनेक
फिर भी एक
हैरां है विश्व भर
इसको देखकर ।
--------- दिलबाग विर्क
***********************
जापानी विधा -------- चोका
वर्ण क्रम ------ 5+7+5+7----------- +7
************************
Comment
दिलबाग जी,
दिल बाग बाग है,
चोका विधा की,
कुछ खास बात है|.....सादर बधाइयाँ
भारत वर्ष की पावन भूमि का महिमामयी बखान| चोका विधा से परिचित हो कर अच्छा लगा दिलबाग़ जी|
bhav sundar. vidha ka main jankar nahi. prastuti hetu badhai.
d.s ji choka very7 good
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