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अपवाद मेरे जीवन के

विकल्पों की इस दुनियां में

बेरस से इस जहां में

तुम्ही कहो क्यों ढूँढूँ विकल्प तुम्हारा

तुम ही तो वो लम्हा हो

जिसे जीया है मैने

तुम्हारी ही सॉसों के बिगङते तरन्नुम को

तो गीतों में पिरोया है मैंने

तुम्ही पर छोङ रखी है हर ख्वाहिश

 एक ही तो है सपना,जिसे तुम्हारी ही

आंखों से देख रखा है मैने

तुम्हारे ही हर लफ्ज को कैद रखा है दिल में,

जिसे तुम्हारा ही आशियां बनाया है मैने

तुमसे ही तो खुशियों-गमों का रिश्ता है

जिसे अपने ही चेहरे के डूबते-उबरते भावों

में छुपा रखा है मैनें

एक रूहानी एहसास हो तुम,जिससे

रूबरू एक बार ही होती है जिदगी,जिसे

सबसे चुराकर सजा रखा है मैने

तुम्हारी जगह,तुम्हारी कमी,वो रिक्तता

अपूरणीय है,नामुमकिन है उसे भरना

वर्तमान,भूत और भविष्य तक को तो

ये बता रखा है मेंने

अपने दिन रात,अपनी हर सांस का

हिसाब ऱखती हुं तुम्हारी खातिर

अगर पल भर भी भूली,तो बुला लेना पास

अपने, मौत को भी तो समझा रखा है मैने

फिर क्यों ये दुनियां मजबूर करती है मुझे

 

विकल्प ढूँढने को तुम्हारा

कहती है इकतरफा है ये प्यार मेरा

कैसे और किस किस को समझाऊँ मैं

फिर मेरे लिए क्या ये दुनियां,तुममे ही तो

एक दुनियां बसा रखा है मैने

तुम भी कह डालो ना मुझसे एक बार

सबके आगे,सबके सामने

विकल्पों की इस दुनियां में

बेरस से इस जहां में

क्यों ढूँढूँ विकल्प तुम्हारा

तुम तो अपवाद हो इस जीवन के !

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Comment by minu jha on April 5, 2012 at 12:12pm

आपकी सराहना मेरे लिए बहुत महत्व रखती है शाही जी

सादर धन्यवाद

Comment by minu jha on April 5, 2012 at 12:08pm

राजीव जी ,समय देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद

Comment by RAJEEV KUMAR JHA on March 17, 2012 at 9:10pm

बहुत सुन्दर कविता लिखा है,मीनू  जी.

तुम्ही कहो क्यों ढूँढूँ विकल्प तुम्हारा

तुम ही तो वो लम्हा हो

जिसे जीया है मैने

तुम्हारी ही सॉसों के बिगङते तरन्नुम को

तो गीतों में पिरोया है मैंने

बहुत सुन्दर पंक्तियाँ हैं.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 14, 2012 at 11:14pm

आदरणीया मीनूजी,  बहुत ही अच्छी कविता हुई है. पढ़ने के क्रम में कई भाव उमगते और लुप्त होते रहे. किसी रचना द्वारा पाठक को संग बहा लेजाना रचना की सफलता है.

शुभेच्छाएँ.

Comment by minu jha on March 14, 2012 at 8:14pm

राजेश जी

रचना को समय देने और सराहने के लिए सादर आभार

Comment by minu jha on March 14, 2012 at 8:13pm

महिमा जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 12, 2012 at 5:02pm

man ke bhaavon ko ek sootra me achche se bandha hai sarahniye prayaas.

Comment by MAHIMA SHREE on March 12, 2012 at 4:41pm
एक दुनियां बसा रखा है मैने

तुम भी कह डालो ना मुझसे एक बार

सबके आगे,सबके सामने
विकल्पों की इस दुनियां में
बेरस से इस जहां में
क्यों ढूँढूँ विकल्प तुम्हारा

आदरणिया मीनू जी,
मन के व्यथा की सच्ची अभिवय्क्ति....
बिना लाग लपेट के.......बधाई...
Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 10, 2012 at 11:58am

Shubhkamnaayen aap ke saath hai.

Comment by minu jha on March 10, 2012 at 11:04am

धन्यवाद अविनाश जी

आप सबों की सराहना प्रोत्साहित करतीं है,आभार

कृपया ध्यान दे...

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