मेघ से आच्छादित नभ में
एकमात्र सुक्ष्म नक्षत्र से
पूछा मैंने...
क्या, तुम हो मेरे ध्रुवतारा ?
नक्षत्र हँस पड़ा ,
कहा उसने...
भूलो, हजारो वर्षो की बिछडन ,
आज... इस क्षण ...
आओ , जीए जीवन सारा..
हाँ ! मैं ही हूँ तुम्हारा ध्रुवतारा !! :)
Comment
Ganesh ji, lata aur Saurabh ji..aneko dhanyawad..meri kavita padhne ke liye
विश्वास और सकारात्मकता से भरी इस रचना के लिये आपको हार्दिक शुभकामनाएँ.
bahut sundar :)
आपकी यह लघु काव्य कृति बहुत ही खुबसूरत बन पड़ी है, बधाई स्वीकार करें |
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