For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शब्दों में खोकर कहते तुम

वाह ! यह कविता अच्छी है

या हँसकर कहते..

ओह ! क्या है यह? क्या तू बच्ची है ?

 

 

मेरे शब्दों में अपनी छवि

देख तुम इतराते !

नासमझ बनने की कोशिश में

बार बार हार जाते !

 

 

इन शब्दों में होता इन्द्रधनुषी रंग

ये शब्द सुर की सरिता में नहाते

या  ये शब्द मुस्कान बिखेरते

तुम होते तो ये शब्द कविता बन जाते !

 

 

आज पास नहीं हो तुम मेरे

अगर कुछ पास है तो है

कुछ बिखरे शब्द,बिखरी-सी मैं

और इन पन्नो पर कुछ बिखरे मोती !!

 

Views: 434

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Anwesha Anjushree on October 10, 2011 at 7:22pm

Ganesh ji BAgi and Saurabh ji..der se reply ke liye maaf kare..main nayi hu aur open book me abhi kaafi kuchh samajh nahi aata...reply karne me der ho gayi..aap ko achcha laga..eska bahut bahut dhanyawad

Comment by Anwesha Anjushree on September 29, 2011 at 4:43pm

आशीष यादव जी, गणेश जी ,सौरभ जी आपने मेरी कविता पढ़ी और पसंद किया, धन्यवाद

Comment by आशीष यादव on September 27, 2011 at 11:46pm

एक सुन्दर रचना, भाव बहुत सुन्दर लगा  मुझे|

इन शब्दों में होता इन्द्रधनुषी रंग

ये शब्द सुर की सरिता में नहाते

या  ये शब्द मुस्कान बिखेरते

तुम होते तो ये शब्द कविता बन जाते !

 

कुछ विरह की तरफ इशारा करती दिख रही कविता| एक भावना पूर्ण कविता है|


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 27, 2011 at 11:31pm
आज पास नहीं हो तुम मेरे

अगर कुछ पास है तो है

कुछ बिखरे शब्द,बिखरी-सी मैं

और इन पन्नो पर कुछ बिखरे मोती !!


वाह ! यह कविता अच्छी है, सचमुच अच्छी है अन्वेषा जी, शब्द को काव्य , काव्य में कथ्य और कथ्य से सौंदर्य बाखूबी पिरोया है, बहुत ही खुबसूरत अभिव्यक्ति है, बधाई स्वीकार करे आदरणीया |

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 27, 2011 at 10:12pm

क्या कुछ खोया, क्या कुछ पाया,

अल्हड़ जीवन की उड़ान की खुशफहमीवाली छाया .. .

 

//मेरे शब्दों में अपनी छवि

देख तुम इतराते !

नासमझ बनने की कोशिश में

बार बार हार जाते ! //

बहुत सुन्दर दशा-चित्रण !!

अन्वेशा अन्जुश्रीजी, आपकी इस भावनमय रचना को मेरी ढेर सारी शुभकामनाएँ..

Comment by Anwesha Anjushree on September 27, 2011 at 4:51pm

Thanks dear..Subhash :)

Comment by Subhash Trehan on September 27, 2011 at 4:48pm

गर रस्ता बदलना हो तो कुछ मुश्किल नहीं है जाना,

बडा सादा सा ज़ुम्ला है, "सितारे मिल नहीं सकते।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बहुत खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया

पलभर में धनवान हों, लगी हुई यह दौड़ ।युवा मकड़ के जाल में, घुसें समझ कर सौड़ ।घुसें समझ कर सौड़ ,…See More
12 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   वाह ! प्रदत्त चित्र के माध्यम से आपने बारिश के मौसम में हर एक के लिए उपयोगी छाते पर…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, कुण्डलिया छंद पर आपका अच्छा प्रयास हुआ है किन्तु  दोहे वाले…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया छंद रचा…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आती उसकी बात, जिसे है हरदम परखा। वही गर्म कप चाय, अधूरी जिस बिन बरखा// वाह चाय के बिना तो बारिश की…"
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीया "
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"बारिश का भय त्याग, साथ प्रियतम के जाओ। वाहन का सुख छोड़, एक छतरी में आओ॥//..बहुत सुन्दर..हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्र पर आपके सभी छंद बहुत मोहक और चित्रानुरूप हैॅ। हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेश कल्याण जी।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service