For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रूठ गयी मुझसे प्रेयसी

आज पीने चला था जाम मैं,
प्रियतम ने प्याला थमा दिया|
चला था मैं इश्क लड़ाने,
उन्होने नज़रें झुका लिया|
कल्पना के हाथों से स्वयं
दो जाम बना दिया||
बड़ी नशीली आँखें उनकी,

मेरे मन मानस पर छा गयी|
श्यामल अंगूर की कोमल कलियों,
बीच शीशा लेकर आ गयीं|
नीर रसों के स्वाद ने मुझे
मधुघट की राह दिखा दिया|
मृदुल हथेली की चाहत ने,
उसे मादक द्रव्य बना दिया ||
एक बार ही तो था माँगा,
प्रेयसी, के अधरों की छुवन|
मगर उनकी मदहोशी मे ,
सारे जग को भुला दिया||

पर रूठ गयी मुझसे प्रेयसी,
करे कर जोड़ विनय मुझसे|
मुझको भूल जाओ ए स्वप्निल,
मय-महिफल मैने बसा लिया||
थोड़ी पीकर प्यास बढ़ी,
फिर बचा नही कुछ पीने को|
प्यास बुझाने की खातिर मैने,
अरमानों का श्राध करा दिया||
गम ना था रूठने का मुझे ,
क्योंकि उनके मान जानके इल्म था|
मगर तकदीर बेरहम ने की रुसवाई ,
कुचलकर मेरी हसरतों को उसने|
चंद फ़ासले को खाई बना दिया||


Views: 489

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ABHISHEK TIWARI on August 14, 2010 at 4:31pm
ab ham kya batayen bhai jee log, ab ye to aaplogon ka pyar hi hai jo mujhe kabhi kabhi kalam uthane ko majbur karta hai , aur jab kalam uth jata hai to jo bhi aaya samajh me wahi likhta hu main , bas aur kuch nahi , dhanyawaad ,

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 13, 2010 at 8:14am
अभिषेक जी , आप मे विचारो को पिरोने की क्षमता है , और जो विचारो को पिरोना जानते है वो लिखने की कला भी जानते है , प्रयास अच्छा है , और भी बढ़िया कर सकते है लिखते रहिये ,
Comment by आशीष यादव on August 12, 2010 at 9:29pm
bahut sundar
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on August 12, 2010 at 9:23pm
bahut badhiya abhishek bhai.....aap to achanak se chakka maar diye.....
humlog to intezaar me the ki aap itna dino baad aakar 1 ya 2 run lekin aapne to chakka hi maar diya....
bahut khoob.......jai hooooooooooooooooo
aisehi likhte rahe....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय सर, इस पोस्ट की बहुत ज़रूरत थी। आपका हार्दिक आभार जो आपने स्पष्ट शब्दों में…"
8 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय तिलकराज कपूर सर, ओबीओ की मूल भावना को शब्द देने के लि हार्दिक आभार। वाकई एक व्यक्ति विशेष ने…"
10 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सभी सदस्यों को यह बात स्पष्ट रूप से समझ लेना चाहिए कि यह पटल एक व्यवस्था है, व्यक्ति नहीं और किसी…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale posted a blog post

मनहरण घनाक्षरी

रिश्तों का विशाल रूप, पूर्ण चन्द्र का स्वरूप,छाँव धूप नूर-ज़ार, प्यार होतीं बेटियाँ।वंश  के  विराट…See More
3 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा षष्ठक. . . . आतंक

दोहा षष्ठक. . . .  आतंकवहशी दरिन्दे क्या जानें , क्या होता सिन्दूर ।जिसे मिटाया था किसी ,  आँखों का…See More
3 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"स्वागतम"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a discussion

पटल पर सदस्य-विशेष का भाषयी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178 के आयोजन के क्रम में विषय से परे कुछ ऐसे बिन्दुओं को लेकर हुई…See More
10 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नीलेश जी, यक़ीन मानिए मैं उन लोगों में से कतई नहीं जिन पर आपकी  धौंस चल जाती हो।  मुझसे…"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय मैं नाम नहीं लूँगा पर कई ओबीओ के सदस्य हैं जो इस्लाह  और अपनी शंकाओं के समाधान हेतु…"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय  बात ऐसी है ना तो ओबीओ मुझे सैलेरी देता है ना समर सर को। हम यहाँ सेवा भाव से जुड़े हुए…"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय, वैसे तो मैं एक्सप्लेनेशन नहीं देता पर मैं ना तो हिंदी का पक्षधर हूँ न उर्दू का। मेरा…"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नीलेश जी, मैंने ओबीओ के सारे आयोजन पढ़ें हैं और ब्लॉग भी । आपके बेकार के कुतर्क और मुँहज़ोरी भी…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service