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नये साल में-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

212 /212/ 212 /212 
*
बच पवन  से  सँभलना  नये  साल में
हमको दीपक सा जलना नये साल में।१।
*
मेट  अन्याय  और  कालिमा  चाहिए
न्याय  विश्वास  फलना  नये  साल में।२।
*
छोड़ना  है  हमें  देश  हित में सहज
नफरतों  से   उबलना  नये  साल में।३।
*
सिर्फ रिश्तों की खातिर भुला द्वेष को
मन से मन तक टहलना नये साल में।४।
*
होगा उन्नत बहुत देश अपना तभी
सब जिएँ छोड़ छलना नये साल में।५।
*
कर रहा है 'मुसाफिर' निवेदन यही
चाँद रौशन निकलना नये साल में।६।
*
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

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