For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोहा सलिला: यमक झमककर मोहता --संजीव 'सलिल'

दोहा सलिला: यमक झमककर मोहता --संजीव 'सलिल'

दोहा सलिला:
यमक झमककर मोहता
--संजीव 'सलिल'
*
हँस सहते हम दर्द नित, देते हैं हमदर्द.
अपनेपन ने कर दिए, सब अपने पन सर्द..
पन = संकल्प, प्रण.
*
भोग लगाकर कर रहे, पंडित जी आराम.
नहीं राम से पूछते, ग्रहण करें आ राम..
*
गरज रहे बरसे नहीं, आवारा घन श्याम.
रुक्मिणी-राधा अधर पर, वेणु मधुर घनश्याम..
*
कृष्ण-वेणु के स्वर सुनें, गोप सराहें भाग.
सुन न सके जो वे रहे, श्री के पीछे भाग..
भाग = भाग्य, पीछा करना.
*
हल धरकर हलधर चले, हलधर-कर थे रिक्त.
हल धरकर हर प्रश्न का, हलधर कर रस-सिक्त..
हल धरकर = हल रखकर, किसान के हाथ, उत्तर रखकर, बलराम के हाथ.
*
बरस-बरस घन बरसकर, करें धराको तृप्त.
गगन मगन विस्तार लख, हरदम रहा अतृप्त..
*
असुर न सुर को समझते, सुर से रखते बैर.
ससुरसुता पर मुग्ध हो, मना रहे सुर खैर..
असुर = सुर रहित / राक्षस - श्लेष
सुर = स्वर, देवता. यमक
ससुर = सुर सहित, श्वसुर श्लेष.
*
ससुर-वाद्य संग थिरकते, पग-नूपुर सुन ताल.
तजें नहीं कर ताल को,बजा रहे करताल..
ताल = तालाब, नियमित अंतराल पर यति/ताली बजाना.
कर ताल = हाथ द्वारा ताल का पालन, करताल = एक वाद्य
*
ताल-तरंगें पवन सँग, लेतीं विहँस हिलोर.
पत्ते झूमें ताल पर, पर बेताल विभोर..
ताल = तालाब, नियमित अंतराल पर यति/ताली बजाना.
पर = ऊपर / के साथ, किन्तु.
*
दिल के रहा न सँग दिल, जो वह है संगदिल.
दिल का बिल देता नहीं, ना काबिल बेदिल..
सँग दिल = देल के साथ, छोटे दिलवाला.
*
यमक झमककर मोहता, खूब सोहता श्लेष.
प्यास बुझा अनुप्रास दे, छोड़े हास अशेष..
*****
दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम

Views: 524

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by sanjiv verma 'salil' on July 21, 2011 at 10:05am

अभिनव बागी हो गये जब से अरुण प्रभात.
सौरभ लख झूमे पवन, 'सलिल' मौन मुस्कात..
Acharya Sanjiv Salil


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 20, 2011 at 10:41am

आदरणीय, आज की तो सुबह ही अलंकृत हो गयी. विश्वास है, दिवस-काल पूर्णतः सामासिक होगा.

प्रस्तुत प्रत्येक दोहा सुगठित, गहन और अर्थवान है.

सही कहा आपने --
यमक झमककर मोहता, खूब सोहता श्लेष.
प्यास बुझा अनुप्रास दे, छोड़े हास अशेष..

अनुप्रास समस्त विशादग्रास का कारण बने इसी की सादर अपेक्षा है.

 

और सावनमास में प्रस्तुत भाव-पंक्ति ने तो झूमने का माहौल ही दे दिया है..

ससुरसुता पर मुग्ध हो, मना रहे सुर खैर..

डमरूवाले की अनेकानेक नृत्य-मुद्राओं वाली कितनी ही छवियाँ   स्लाइड-शो  कर रही हैं.

 

हल धरकर हलधर चले, हलधर-कर थे रिक्त.
हल धरकर हर प्रश्न का, हलधर कर रस-सिक्त..

अहा हा हा .! सही है, आजके हलधर का कर रिक्त तो है ही. तभी तो हल धर कर जीते इस हलधर का कर भावशून्य भर है. इस विधान पर कुछ कहना ही क्या अब? उस ’हलधर’ के प्रति करबद्ध ही नहीं नतशीष हो कि ’हे हलधर, भवबाधा हर, कि हल धर कर जी सकें जीवन भर’.

सलिलजी, हम आकण्ठ हुए. हम संतृप्त हुए.
सादर.

Comment by prabhat kumar roy on July 20, 2011 at 10:26am

VARY GOOD 'DHOHE' BY SNJIV SALIL. CONGRATS!

Comment by Abhinav Arun on July 20, 2011 at 9:32am
अत्यंत मोहक और हृदयस्पर्शी दोहे !! मन इन उच्च कोटि की प्रस्तुतिओं से मुघ्ध हुआ !! आचार्य जी को प्रणाम है !! 

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 20, 2011 at 9:08am
आहा ! सुबह सुबह बहुत ही खुबसूरत दोहे पढ़ने को मिले, साथ में अलंकारों का इतना बेहतरीन प्रयोग कि क्या कहा जाय, जो दिखता है वो है नहीं, जो है वो दिखता नहीं, सभी दोहे उम्दा बन पड़े है | बहुत बहुत आभार आचार्य जी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"हार्दिक आभार आदरणीया कल्पना जी"
2 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
3 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"सादर नमस्कार। प्रदत्त विषय को एक नया अहम आयाम देती बढ़िया रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया विभारानी…"
42 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आदाब। एक बढ़िया बाल मनोविज्ञान आधारित समसामयिक और दीर्घकालिक लघुकथा हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय…"
49 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आदाब। बहुत बड़ा सरप्राइज दिया आपने। बहुत दिनों बाद गोष्ठी में आपकी उपस्थिति हमारा सौभाग्य है। मेरी…"
1 hour ago
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121 विषय : हैवान / रक्तपिपासु हैवान- “ऐसे गाँव में…"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा षष्ठक. . . . आतंक
"परम  आदरणीय सौरभ जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आदरणीय प्रतिभा जी, सर्वप्रथम आयोजन मे ंसहभागिता के लिए आपको बधाई। यह राक्षस तो हम सभी को…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आदरणीय Sheikh Shahzad Usmani  जी, आपकी इस लघुकथा ने मर्म को छू लिया है। इस प्रस्तुति के…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अपने घर में किसी का स्वागत नहीं किया जाता. मैं भी आपका अनुकरण करने का प्रयास करूँगा. बल्कि करने…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"आदरणीय नीलेश जी, हार्दिक बधाई.  प्रस्तुत अश’आर के लिए तहेदिल से बधाई.  मैं उस से…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय सौरभ सर, नमस्ते अवश्य, कई कारणों से मैं मंच से दूर हो गया था। मैं कोशिश करूँगा कि सप्ताह में…"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service