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ना तुझे पाने की खुशी ना तुझे खोने का ग़म

ना तुझे पाने की खुशी, ना तुझे खोने का ग़म 

मिल जाए तो मोहब्बत, ना मिले तो कहानी है 

ना आँखों में आँसू और ना चेहरे पर पानी  

बेचैन मोहब्बत में, बदनाम जवानी है 

ना तेरे साथ की चाहत, ना तेरे जुदाई की ख़्वाहिश 

जो साथ रहे तो मंज़िल हो ना हो तो सफर सुहानी है 

ना तेरे आने की आस, ना तुझे पाने की तलब 

जैसे है हम,  वैसे हीं अपनी कहानी है  

ना तेरे होने से फूल खिलेंगे, ना तेरे खोने से बाग उजड़ेंगे 

ये मिजाज तो मौसम के है, अपने वक़्त में ही सवरेंगे 

ना तू खुशियाँ लेकर आया था, ना तू ग़म देकर जाएगा 

वक़्त है तेरे  पहले भी कटता था, तेरे बाद भी गुजर जाएगा 

ना तूने हँसी दी हमें,  ना तू रुला रुला हीं सका हमको 

दिल का क्या  है? आज ग़मज़दा है, कल खुशनुमा हो जायेगा 

"मौलिक व अप्रकाशित" 

अमन सिन्हा 

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Comment

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Comment by Mahendra Kumar on October 13, 2022 at 7:32pm

आदरणीय अमन जी, रचना के भाव अच्छे हैं जिस हेतु हार्दिक बधाई प्रेषित है। मेरा सुझाव है कि आप जिस भी विधा में लिखना चाहते हैं पहले उसके शिल्प का अध्ययन अवश्य कर लें। यह बात तब और भी ज़रूरी हो जाती है जब आप छन्दबद्ध रचना लिखते हैं। सौभाग्य से इस मंच पर विभिन्न विधाओं के बुनियादी शिल्प पर बहुत अच्छे आलेख उपलब्ध हैं। आप उन तक पहुँचें और उनका अध्ययन करें। मेरी तरफ़ से ढेर सारी शुभकामनाएँ।

Comment by AMAN SINHA on October 5, 2022 at 10:50am

आदरणीय समर कबीर साहब, 

तारीफ़ के लिये दिल से धन्यवाद। साहब, मैं किसी विधा से परिचित नहीं हूँ। नाहींं मुझे किसी भी लेखन विधि की पहचान हीं है। बचपन में दोहे, छंद, सोरठा इत्यादी पाठ्य पुस्तक में पढे थे। कुछ कविताएं भी पढी थी। विगत चार साल से गज़ल, शेर और उर्दु के दुसरी विधाओं को सुन रहा हूँ। बस यही मेरे सिखने का स्रोत है। मैं खुद भी नहीं जानता कि मैं जो लिख रहा हूँ उसकी श्रेणी क्या है। तो अगर आप मुझसे इस विषय में किसी भी प्रकार के उत्तर की कामना करेंगे तो मुझपर बोझ बढेगा। 

मेरी अज्ञानता के लिये आपसे क्षमा चाहता हूँ। आशा करता हूँ आप मेरे असमर्थता को समझेंगे और अपना स्नेह मुझपर युं ही बनाये रखेंगे। 

धन्यवाद। 

सादर।  

Comment by Samar kabeer on October 4, 2022 at 4:33pm

जनाब अमन सिन्हा जी आदाब, अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें.

आप रचनाएँ किस विधा पर लिखते हैं कुछ समझ नहीं आता?

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