For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत (सोचना क्या, छोड़ना क्या, कुछ नहीं बस में हमारे)

तृप्ति भी मिलती नहीं औ द्वंद भी कुछ इस तरह है
सोचना क्या? छोड़ना क्या? कुछ नहीं बस में हमारे

साथ किसके क्या रहा है छोड़कर धरती गगन को
फूल  जो  भी  आज  हैं वे छोड़ देंगे कल चमन को
मौत  पर  होवें  दुखी  या  जन्म पर खुशियाँ मनाएँ
हार   से  हम  हार  जाएँ  या   लड़े  औ जीत जाएँ
ज़िन्दगी   के  राज़  गहरे   दूर   जितने   चाँद   तारे
सोचना क्या? छोड़ना क्या? कुछ नहीं बस में हमारे

हर  पतन  के  बाद  ही  होता जगत उत्थान  भी है
शांति  की  ही  गोद  में  पलता  बड़ा  तूफान भी है
पर्वतों  के  बीच  से  ही  धार   सरिता  की  बही  है
मुश्किलों के पार  जाकर  ज़िन्दगी  चलती  रही  है
जीत  मन  ही  जीतता  है  और  मन  ही  हार  हारे
सोचना क्या? छोड़ना क्या? कुछ नहीं बस में हमारे

धन  कमाया  है  यहाँ  यह  सोचना  भी  भूल यारो
मोह की जकड़न चुभाए हर  समय  ही  शूल  यारो
मृग सरीखा खोजते  हम  गन्ध  का  उद्गम  कहाँ है
झाँकते  ख़ुद  के  न  अंदर  कुंडली   बैठी  जहाँ  है
डूबता    रहता   सफ़ीना   देखते     रहते     किनारे
सोचना क्या? छोड़ना क्या? कुछ नहीं बस में हमारे

नाथ सोनांचली

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 425

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on June 15, 2022 at 7:48am

आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम। रचना को पोस्ट करने के बाद आपकी उपस्थिति का मुझे सदैव इतंजार रहता है। आपकी टिप्पणी मेरे लिए आशीष है। हृदयतल से आभार आपका

Comment by Samar kabeer on June 15, 2022 at 7:40am

जनाब नाथ सोनांच्ली जी आदाब, अच्छा गीत लिखा है आपने , इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें I 

Comment by नाथ सोनांचली on June 14, 2022 at 3:17am

आद0 अमीरुद्दीन 'अमीर" साहब सादर अभिवादन। गीत आपने पसन्द किया, लिखना सार्थक हो गया हृदयतल से आभार व्यक्त करता हूँ।

Comment by नाथ सोनांचली on June 14, 2022 at 3:16am

आद0 देवेश जी सादर अभिवादन सँग आभार आपका

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on June 13, 2022 at 10:32pm

आदरणीय नाथ सोनांचली जी आदाब, शानदार गीत की रचना पर बधाई स्वीकारें। गीत की हर-एक पंक्ति आभामय हुई है।

"हर पतन के बाद ही होता जगत उत्थान भी है

शांति की ही गोद में पलता बड़ा तूफान भी है

पर्वतों के बीच से ही धार सरिता की बही है

मुश्किलों के पार जाकर ज़िन्दगी चलती रही है" - 'अद्भुत'

Comment by Devesh Kumar on June 13, 2022 at 12:33pm

बहुत ख़ूब, बेहतरीन।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी देश प्रेम में ओतप्रोत बहुत सुन्दर भावसंपन्न रचना के लिए बधाई स्वीकार…"
48 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी सादर अभिवादन  एक लंबे अर्से बाद आपको पटल पर देखकर बहुत अच्छ लगा। घर…"
56 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय प्रतिभा जी , आपने बचपन के दिनों की याद दिला दी , बहुत सुन्दर गीत रचना की है , बधाई आपको "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय चेतन भाई  अच्छी ग़ज़ल हुई है  , बधाई  आपको आख़िरी शेर की मात्रा कृपया …"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  लक्ष्मण  भाई मात्रिक  बहर में बढ़िया ग़ज़ल कही है , हार्दिक बधाई "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय सुरेश भाई , माँ  को समर्पित गीत रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई …"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण भाई "
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
" छुट्टी- छुट्टी _____ याद आ रहे हैं बचपन के,  दिन गर्मी  छुट्टी…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"एक ग़ज़ल  221    1221   1221    12 ये ज़िन्दगी  अहबाब…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर और भावप्रधान गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"सीख गये - गजल ***** जब से हम भी पाप कमाना सीख गये गंगा  जी  में  खूब …"
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service