For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अहसास की ग़ज़ल -मनोज अहसास

2122     2122     2122     212

एक ताज़ा ग़ज़ल

तेरी चौखट तक पहुँचने के हैं अब आसार कम.
फासला लंबा बहुत है या मेरी रफ्तार कम.

कौन से रस्ते पे चलके मैं चला जाऊं कहाँ,
डर बहकने का है दिलबर हौसला इस बार कम.

हद से ज्यादा बेबसी है पर इरादे बेहिसाब,
हमसफर तो मिल गए हैं मिलते हैं गमख़ार कम.

घर पहुँचने की तड़प में इस सफर में जाने जां,
रोटिया दिलकश अधिक है और तेरे रुखसार कम.

जोड़ कर रखा था नाता जिनसे सालों साल तक,
उनकी नज़रों में मिला है प्यार का व्यवहार कम.

दोपहर की धूप से जब तिलमिला उठता हूं मैं,
लगने लगता है मुझे तब जीने का आधार कम.

कोई दरवाज़ा खुला मिलता है जब इस राह में,
तब सफर की हर मुसीबत लगती है दुश्वार कम.

पाँव बोझिल हो गए हैं आंखें धुँधलाने लगी,
राम जाने किस तरह होगा हमारा भार कम.

जाने किस की मुश्किलों को लिख रहा 'अहसास' है,
इसमें व्याकुलता बड़ी है पर सुखन की धार कम.

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 449

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by मनोज अहसास on May 15, 2020 at 8:49pm

आदरणीय सालिक गनवीर एवम आदरणीय मुसाफ़िर जी ग़ज़ल पर उपस्थिति एवं हौसला अफजाई के लिए आपका हार्दिक आभार

Comment by मनोज अहसास on May 15, 2020 at 8:47pm

आदरणीय समर कबीर साहब हार्दिक आभार

आपकी इस्लाह पर गौर कर रहा हूँ

नुक्ते लगाने के प्रयास भी कर रहा हूँ

आपकी आशाओं पर खरा उतरने का प्रयास कर रहा हूँ

Comment by Samar kabeer on May 15, 2020 at 7:53pm

जनाब मनोज अहसास जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

'जोड़ कर रखा था नाता जिनसे सालों साल तक'

ये मिसरा बह्र से ख़ारिज हो रहा है, 'रखा' को "रक्खा" कर लें ।

एक बात बार बार से कह चुका हूँ, आज फिर कहता हूँ कि जब तक आप उर्दू शब्दों को ठीक से लिखना नहीं सीखेंगे ग़ज़ल का हक़ अदा नहीं कर सकेंगे,आप भले ही ख़ुश होते रहें कि आप ग़ज़ल कह लेते हैं,शब्दों में नुक़्ते नहीं लगने से ग़ज़ल ऐसी लगती है जैसे बिना नमक मिर्च का भोजन ।

दूसरी बात ये कि आप मंच पर आई हुई रचनाओं पर अपनी प्रतिक्रया भी नहीं देते,ये अच्छी बात नहीं है,अगर मंच के सभी सदस्य ऐसा करने लगें तो सोचिए कैसा लगेगा?

Comment by सालिक गणवीर on May 15, 2020 at 9:26am
भाई मनोज अहसास
आदाब
एक शानदार ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें.
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 15, 2020 at 6:39am

आ. भाई मनोज जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

कुर्सी जिसे भी सौंप दो बदलेगा कुछ नहीं-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

जोगी सी अब न शेष हैं जोगी की फितरतेंउसमें रमी हैं आज भी कामी की फितरते।१।*कुर्सी जिसे भी सौंप दो…See More
3 hours ago
Vikas is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
Monday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service