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भूल गया मैं लिखना कविता

जब से तुमको, देखा सविता।
भूल गया मैं, लिखना कविता।।

भाता मुझको, पैदल चलना।

तुम चाहो, अंबर में उड़ना।
सैर-सपाटा, बँगला-गाड़ी।
फैशन नया, रेशमी साड़ी।
सखियाँ तेरी, इशिता शमिता।
भूल गया मैं, लिखना कविता।।

तुमको प्यारे, गहने जेवर।
नखरे न्यारे, तीखे तेवर।
होकर विह्वल, संयम खोती।
हँसती पल में, पल में रोती।
आँसू बहते, जैसे सरिता।
भूल गया मैं, लिखना कविता।।

नारी धर्म, निभाया तूने।
माँ बनकर, दिखलाया तूने।
स्वाति बूँद मैं, तू है सीपी।
चातक बनूँ, पुकारूँ पी पी।
पी हूँ मैं, तू मेरी वनिता।
लिख दी मैंने, तुम पर कविता।।

"मौलिक व अप्रकाशित"

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Comment

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Comment by Manoj Yadav on April 14, 2020 at 5:28pm

VERY NICE POEM 

KEEP IT UP !!!!!!!

मन को छू गयी यह कविता  !!!!

कृपया ध्यान दे...

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