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"बहुत दिनों से है बाक़ी ये काम करता चलूँ"

ग़ज़ल

बहुत दिनों से है बाक़ी ये काम करता चलूँ

मैं नफ़रतों का ही क़िस्सा तमाम करता चलूँ

अब आख़िरत का भी कुछ इन्तिज़ाम करता चलूँ

दिल-ओ-ज़मीर को अपने मैं राम करता चलूँ

जहाँ जहाँ से भी गुज़रूँ ये दिल कहे मेरा

तेरा ही ज़िक्र फ़क़त सुब्ह-ओ-शाम करता चलूँ

अमीर हो कि वो मुफ़लिस,बड़ा हो या छोटा

मिले जो राह में उसको सलाम करता चलूँ

गुज़रता है जो परेशान मुझको करता है

तेरे ख़याल से कैसे कलाम करता चलूँ

"समर"हयात का मक़सद बना लिया है यही

चलन वफ़ा का ज़माने में आम करता चलूँ

"समर कबीर"

मौलिक/अप्रकाशित

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Comment by अजय गुप्ता 'अजेय on December 12, 2018 at 6:26pm

अहहहा

Comment by Samar kabeer on December 10, 2018 at 4:57pm

जनाब सुरेन्द्र इंसान जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by surender insan on December 10, 2018 at 2:46pm

मोहतरम समर साहब आदाब।वाह जी वाह बेहतरीन ग़ज़ल जी। मतले से मकते तक हर शेर लाजवाब।बहुत बहुत दिली मुबारकबाद जी।

Comment by Samar kabeer on October 26, 2018 at 5:12pm

जनाब राज़ नवादवी साहिब आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाजी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by राज़ नवादवी on October 26, 2018 at 4:50pm

वाह वाह, बहुत ख़ूब. 

गुज़रता है जो परेशान मुझको करता है

तेरे ख़याल से कैसे कलाम करता चलूँ

"समर"हयात का मक़सद बना लिया है यही

चलन वफ़ा का ज़माने में आम करता चलूँ

क्या कहने. सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति पे दिली मुबारकबाद  क़ुबूल करें जनाब समर कबीर साहब. सादर 

Comment by Samar kabeer on October 11, 2018 at 10:49pm

जनाब सतविन्द्र कुमार जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 11, 2018 at 7:51pm

वाह वाहबेहतरीन अशआर। दिली मुबारकबाद जनाब समर कबीर साहब!

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 7, 2018 at 11:10pm

यही तो आपका बड़प्पन है..शुक्रिया आदरणीय..

Comment by Samar kabeer on October 7, 2018 at 7:00pm

जनाब बृजेश जी आदाब,सुख़न नवाज़ी लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

आइन्दा आपको शिकायत नहीं होगी ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 7, 2018 at 3:30pm

वाह जी वाह आदरणीय क्या ही शानदार ग़ज़ल कही हर एक शेर बेमिसाल..एक गुजारिश है आदरणीय....अगर आप बड़े लोग अपनी रचनाओ के साथ मापनी लिखेंगे तो हमें सीखने में और आसानी रहेगी।क्योंकि सभी मापनियों की जानकारी नहीं है अभी।

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