For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खुद को देशभक्त समझने वाले राम ने रहीम से कहा, “तुमने देशद्रोह किया है।”

रहीम ने पूछा, “देशद्रोह का मतलब?”

राम ने शब्दकोश खोला, देशद्रोह का अर्थ देखा और बोला, “देश या देशवासियों को क्षति पहुँचाने वाला कोई भी कार्य।”

बोलने के साथ ही राम के चेहरे का आक्रोश गायब हो गया और उसके चेहरे पर ऐसे भाव आए जैसे किसी ने उसे बहुत बड़ा धोखा दिया हो। न चाहते हुए भी उसके मुँह से निकल गया, “हे भगवान! इसके अनुसार तो हम सब....।”

रहीम के होंठों पर मुस्कान तैर गई।

--------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 1581

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by मनोज अहसास on August 1, 2015 at 8:47pm

सर
आपने जो स्पष्टीकरण दिया है वो इस कथा को स्पष्ठ करता है या नहीं ये निर्णय मै मंच की जिम्मेदार आवाज़ों पर छोड़ देता हूँ
पर मेरी टिप्पणी पूर्ववत ही है. किसी को भी ये अधिकार नहीं है कि वो राम को लेबल की तरह इस्तेमाल करे. ये आज़ादी नहीं है आपको भी नहीं.

मैं आपका सम्मान हमेशा करता रहा हूँ. करता हूँ. स्वयं आपसे सटीक निर्णय की चाह रखता हूँ. कुछ भी निजी नहीं है. पर सटीक जवाब की चाह है छोटे भाई को क्षमा आप कर ही देगे.
सादर

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on August 1, 2015 at 7:38pm

आदरणीय मनोज जी।

क्या लिखना है क्या नहीं ये निर्णय करना रचनाकार का अधिकार है।

क्या प्रकाशित करना है क्या नहीं यह निर्णय करना संपादक का अधिकार है।

रचना कैसी लगी अच्छी / बुरी / बकवास यह निर्णय पाठक स्वविवेक से ले सकता  है।

पाठक यह सुझाव भी दे सकता है कि रचना को कैसे बेहतर बनाया जाय। आपके सुझाव से मुझे लघुकथा बेहतर होती नहीं लग रही है।

"हमेशा राम को ही दोषी न ठहराइए?" मैं किसी को दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मैं केवल एक शब्द का अर्थ बताने की कोशिश कर रहा हूँ जिसे एक लेबल की तरह अपने फ़ायदे के लिए किसी के भी माथे पर चिपका  दिया जाता है बिना इस शब्द का अर्थ जाने।

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on August 1, 2015 at 7:31pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  मिथिलेश जी।

Comment by मनोज अहसास on August 1, 2015 at 5:38pm
नमस्कार सर
लघुकथा के विषय में जानकारी नहीं है
ग़ज़ल ही समझ मुश्किल से आती है
फिर भी आपकी रचना के प्रति ये निवेदन है
कृपिया संवेदनशील विषयो से बचा जाये
कम से कम नाम का प्रयोग सावधानी से हो


खुद को देशभक्त समझने वाले राम ने


ये गलत है
आप लिखिए
खुद को देशभक्त समझने वाले एक व्यक्ति ने
आदमी ने
पुरुष ने
शहरी ने
आदि आदि
इससे भी आपका सन्देश पहुच जाता


हमेशा राम को ही दोषी ना ठहरिये
क्षमा प्रार्थना सहित
गलत लगे तो मुझे मार्गदर्शित कीजिये

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 1, 2015 at 3:24pm

आदरणीय बड़े भाई धर्मेन्द्र जी, बहुत शानदार लघुकथा हुई है. पंचलाइन जबरदस्त हुई है, जैसे अपने ही सच को अचानक किसी ने उघाड़ दिया हो, बिलकुल झटके से..... बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
48 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
4 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
8 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
9 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान की परिभाषा कर्म - केंद्रित हो, वही उचित है। आदरणीय उस्मानी जी, बेहतर लघुकथा के लिए बधाइयाँ…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी दोनों सहकर्मी है।"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service