For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अदृश्य भय - लघुकथा (मिथिलेश वामनकर)

“आज बहुत लेट हो गई ? ’मम्मा ऑफिस से कब आएगी’, पूछ-पूछ कर परी ने कबसे परेशान कर रखा है..”
सासू माँ की बगल में सुनंदा की तीन साल की बेटी चुपचाप अपनी गुड़िया के साथ खेल में मग्न थी.
“मधुकर भैया है न, इनके दोस्त, उनके यहाँ बेटी हुई है, बस हॉस्पिटल गई थी. इनका फोन आया था कि वो नहीं जा पाएंगे इसलिए मुझे जाना पड़ा.” - सुनंदा की आवाज़ सुनकर परी दौड़ती हुई अपनी मम्मा से लिपट गई.
“अरे उसकी तो पहले ही एक लड़की है न ?... काश इस बार लड़का हो जाता.. अच्छा रहता.”  कहती हुई सासू माँ ने सुनंदा से लिपटी हुई परी को कुछ ऐसी नज़रों से देखा कि सुनंदा भीतर तक काँप गई.

-------------------------------------------------------
(मौलिक व अप्रकाशित)  © मिथिलेश वामनकर 
-------------------------------------------------------

Views: 987

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 21, 2015 at 7:34pm

एक ऐसी कथा जिसके बारे में लेखक ने स्वयं कहा है कि यह विषय अछूता नहीं है. लेकिन कुछ विषय अक्सर उठाने वाले हुआ करते हैं. देखना यह पड़ता है कि उसे कितने सार्थक ढंग से उठया गया है ? या, कथ्य का निर्वहन कैसे हो पाया है ?

आदरणीय मिथिलेशजी ने इस विषय को गहराई से सोचा है और उसे संवाद और इंगितों का आवश्यक आवरण दिया है. इस हेतु वे अवश्य बधाई के पात्र हैं. विशेषकर उस स्थिति में, जब आप स्वयं को इस विधा में पहले दर्ज़े अभ्यासी मानते हैं.

यह अवश्य कि वाक्य संयोजन और सटीक हो सकता है. चू‘ंकि आदरणीय मिथिलेशभाई ने शिल्पगत चर्चा हेतु कहा है, मैं कुछ प्रयास करता हूँ. जैसे --

“आज बहुत लेट हो गई ? ’मम्मा ऑफिस से कब आएगी’, पूछ-पूछ कर परी ने कबसे परेशान कर रखा है..”

सासू माँ की बगल में सुनंदा की तीन साल की बेटी चुपचाप अपनी गुड़िया के साथ खेल में मग्न थी.

“मधुकर भैया है न, इनके दोस्त, उनके यहाँ बेटी हुई है, बस हॉस्पिटल गई थी. इनका फोन आया था कि वो नहीं जा पाएंगे इसलिए मुझे जाना पड़ा.” - सुनंदा की आवाज़ सुनकर परी दौड़ती हुई अपनी मम्मा से लिपट गई.

“अरे उसकी तो पहले ही एक लड़की है न ?... काश इस बार लड़का हो जाता.. अच्छा रहता.”  कहती हुई सासू माँ ने सुनंदा से लिपटी हुई परी को कुछ ऐसी नज़रों से देखा कि सुनंदा भीतर तक काँप गई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 21, 2015 at 6:59pm

आदरणीया राजेश दीदी, लघुकथा की सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. सही कहा आपने इस मानसिकता का बदलना बहुत जरुरी है. सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 21, 2015 at 6:57pm

आदरणीया तनूजा जी, लघुकथा के मर्म पर रचना को अनुमोदित करती काव्याभिव्यक्ति और सराहना हेतु आपका हार्दिक आभार..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 21, 2015 at 5:44pm

बहुत अच्छी लघुकथा हुई मिथिलेश भैया ,बस यही चिंता है न जाने ये मानसिकता कब बदलेगी | बहुत- बहुत बधाई| 

Comment by Tanuja Upreti on July 21, 2015 at 4:51pm

बिटिया जीवन माँग रही उसको भी जीने दो ना 

जीवन सुधा यह मधुमय अमृत उसको भी पीने दो ना

नवल मृदुल सुकुमार कोंपलें खिले सजे विश्व प्रांगण 

बिटिया की आवक में भी उल्लसित हो जग जीवन (तनूजा)

बहुत मर्मस्पर्शी रचना है आदरणीय मिथिलेश जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 21, 2015 at 4:34pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी, लघुकथा के मर्म तक पहुँच कर एक सार्थक प्रतिक्रिया देने के लिए हार्दिक आभार.

यह भी अवश्य है कि इस विधा के लिए भी यह पुराना विषय है और इसी मंच पर इस विषय पर रचनाएँ प्रस्तुत हुई है. फिर भी विधा के अभ्यास के क्रम में इस विषय को एक नए दृष्टिकोण से सहज घटनाक्रम में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है. लघुकथा के शिल्प पर भी गुनीजनों से मार्गदर्शन अपेक्षित है. सादर 

Comment by TEJ VEER SINGH on July 21, 2015 at 3:31pm

आदरणीय मिथिलेश जी,एक लडकी की मॉ होने के भय का बखूबी वर्णन किया है !लडकी की मॉ होना जैसे कोई गुनाह हो!हार्दिक बधाई!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 21, 2015 at 3:14pm

आदरणीय ओमप्रकाश जी लघुकथा पर सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 21, 2015 at 3:09pm

आदरणीय आनंद सागर पांडे जी लघुकथा पर सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 21, 2015 at 3:08pm

आदरणीय विनय जी लघुकथा पर सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
11 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
19 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
29 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
13 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
yesterday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
yesterday
आशीष यादव added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Nov 17

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service