For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये भटकते हुये रास्ते

मैं हिला तक नहीं हूँ 

उस जगह से 
जहाँ तुमने छोडा था कभी 
तुम लौट आये हो
कौनसा रास्ता आया है 
लौटकर मुझ तक
खैर ! तुम्हारा कोई दोष नहीं है  
तुम्हारे लौट आने में 
ये रास्ते ही ऐसे हैं 
घूम फिर कर 
फिर आ पहुँचते हैं वहीं 
जहाँ से चले थे कभी 
राह से भटके हुये 
ये भटकते हुये रास्ते
तुम लौट ही आये हो 
तो कुछ देर आराम करलो
निकल जाना सुबह होते होते 
फिर किसी भटकते हुये रास्ते के साथ
रोज कई रास्ते निकलते हैं
पर मैं तुम्हें 
अकेला नहीं छोड सकता हूँ 
एक पल को मेरे घर में 
क्योंकि मैं तुम्हारे 
स्वभाव से परिचित हूँ
मैं भूला नहीं हूँ 
वो पहली मुलाकात 
तुमने अपनी आँखों से ही
मुझे मुझसे अलग कर दिया था
और ले गये थे अपने साथ
क्या मुझे मुझको लौटाने आये हो 
नहीं ! नहीं !
मुझे तो तुम अपने पास ही रखो
अब मैं मेरा क्या करुंगा
मैं खुश हूँ उन उपहारों के साथ 
जो तुमने दिये थे मुझको कभी 
अकेलेपन की जिन्दगी 
आँसूओं की बहती सरिता 
विरह की आग से उठता ज्वालामुखी
अँधेरा ही अँधेरा 
तुम्हारे इन उपहारों का सहारा न होता
तो जीवन अर्थहीन हो जाता
कोई अपने दिये उपहारों को
लौटकर लेने नहीं आता
तुम भी न ले जाना इन उपहारों को
कल मैं तुम्हें फिर
विदा करुंगा
पहले की तरह
फिर किसी 
भटकते हुये रास्ते के साथ 
हो सके तो
तुम फिर चले आना मेरे पास
राह से भटके हुये किसी रास्ते से
भटकते हुये

उमेश कटारा
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 649

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by umesh katara on March 3, 2015 at 7:28pm

आदरणीय pratibha tripathi जी  शुक्रिया

Comment by umesh katara on March 3, 2015 at 7:28pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी  शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 2, 2015 at 5:38pm

बहुत सुन्दर कविता , आदरणीय हार्दिक बधाइयाँ ॥

Comment by umesh katara on March 2, 2015 at 5:08pm

आदरणीय Hari Prakash Dubey जी  शुक्रिया

Comment by umesh katara on March 2, 2015 at 5:07pm

आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया जी  शुक्रिया

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 2, 2015 at 4:45pm

बहुत ही सुंदर. अपना पूर्ण प्रभाव छोडती पंक्तियाँ, बधाई स्वीकारें आदरणीय उमेश जी

Comment by Hari Prakash Dubey on March 2, 2015 at 1:01pm

आदरणीय उमेश कटारा जी सुन्दर रचना है , हार्दिक बधाई आपको सर ! सादर 

Comment by umesh katara on March 2, 2015 at 9:41am

आदरणीय khursheed khairadi जी आप जैसे प्रबुद्धजनों की संगत का ही असर है 
वरन मैं नाचीज क्या हूँ साद आभार

Comment by khursheed khairadi on March 2, 2015 at 8:50am

खैर ! तुम्हारा कोई दोष नहीं है   
तुम्हारे लौट आने में 
ये रास्ते ही ऐसे हैं 
घूम फिर कर 
फिर आ पहुँचते हैं वहीं 
जहाँ से चले थे कभी 
राह से भटके हुये 
ये भटकते हुये रास्ते

आदरणीय उमेश साहब ,सुन्दर भावाभिव्यक्ति है |इन पंक्तियों में 'मैं' को मेरा से अलग दिखाकर एक सार्थक और नवीन  द्वंद रचा है आपने ...क्या ख़ूब...अब मैं मेरा क्या करूंगा ...  

तुमने अपनी आँखों से ही 
मुझे मुझसे अलग कर दिया था
और ले गये थे अपने साथ
क्या मुझे मुझको लौटाने आये हो 
नहीं ! नहीं !
मुझे तो तुम अपने पास ही रखो
अब मैं मेरा क्या करुंगा

सादर अभिनन्दन |

Comment by umesh katara on March 2, 2015 at 7:44am

आदरणीय  krishna mishra 'jaan'gorakhpuri जी बहुत बहुत शुक्रिया

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
2 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
3 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
7 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
11 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
12 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान की परिभाषा कर्म - केंद्रित हो, वही उचित है। आदरणीय उस्मानी जी, बेहतर लघुकथा के लिए बधाइयाँ…"
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service