For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बिस्तर पर सिलवटें

सुबह शाम

दफ्तर काम

ढलता सूरज

उगता चाँद

रात, तुम्हारी याद

आखों से बरसात !!

कभी भूख

कभी प्यास

कभी हर्ष

कभी विषाद

तन्हाई, रात वीरान

सुलगते हुए अरमान !!

तन्हा सफर

स्ट्रीट लाईट

पाखी जलता

मन मचलता

प्यास, बैचैन करवटें

बिस्तर पर सिलवटें !!

उगता सूरज

आँखें लाल

वही सवाल

वही मदहोशी

गुम, खुद में कहीं

नहीं सुध किसी चीज़ की !!

फिर वही

सिलसिला

सुबह शाम

दफ्तर काम

ढलता सूरज

उगता चाँद

रात, तुम्हारी याद

आखों से बरसात !!

 

© हरि प्रकाश दुबे

"मौलिक व अप्रकाशित"

 

 

 

 

Views: 1125

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 10, 2015 at 10:30am

आदरणीय हरि भाई , मशीनी ज़िन्दगी का खूब चित्र खींचा है , बधाइयाँ ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 9, 2015 at 11:14pm

बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति ... यंत्र सी चलती ज़िन्दगी पर अच्छी रचना हुई है ... आदरणीय हरिप्रकाश दुबे जी इस रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 9, 2015 at 10:31pm

सुबह से शाम, शाम से सुबह ..काम और बस काम, मानो मानव न हुआ मशीन हो गया, यही जिन्दगी है......इस अभिव्यक्ति पर बधाई. 

Comment by somesh kumar on February 9, 2015 at 10:15pm

जीवन की उलझन में दिन 

रात कटे ना तुम बिन 

तकलीफे हैं मीठा गुड़ 

यादे लगती हैं नमकीन |

इस विशेशष टिपण्णी के साथ आपके इस अलग प्रयास का अनुमोदन भाई जी |

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 9, 2015 at 3:48pm

सरल शब्दों में दैनिक जीवन का सुंदर बखान. बधाई आदरणीय हरिप्रकाश जी.

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 9, 2015 at 10:59am
एक सामान्य सी दिनचर्या का सुन्दर वर्णन , आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी , बधाई, सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी सहृदय शुक्रिया आदरणीय इस मंच के और अहम नियम से अवगत कराने के लिए"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आपका सुधार श्लाघनीय है। सादर"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय इस मंच पर न कोई उस्ताद है न कोई शागिर्द। यहां सभी समवेत भाव से सीख रहे हैं। यहां गुरु चेला…"
4 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई आदरणीय रिचा जी बधाई स्वीकार करें"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service