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"अरे वो पेड़ कहा गया , गिर गया क्या ?"

"नहीं चाची , ठूँठ था तो काट दिया लोगों ने "|
बेऔलाद चाची को कुछ चुभा और वो तेजी से आगे बढ़ गयीं |

.

( मौलिक एवम अप्रकाशित )

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 12, 2014 at 10:41am

वाह बहुत प्रभावशाली लघु कथा बहुत कम शब्दों में बहुत कुछ कह गई ...बधाई आपको विनय कुमार जी .

Comment by Shyam Narain Verma on November 12, 2014 at 10:25am

सुन्दर लघुकथा के लिए दिली बधाइयाँ |

Comment by somesh kumar on November 11, 2014 at 11:27pm

सुंदर एवं सशक्त लघुकथा के लिए बधाई ,विनय भाई जी 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 11, 2014 at 8:11pm

आय हाय ! क्या कहने भाई, तीन डेग में त्रिलोक नाप दिया, जबरदस्त लघुकथा, बहुत बहुत बधाई ।

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