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प्रिये , सुनती हो ! ( अतुकांत ) गिरिराज भंडारी

प्रिये , सुनती हो !

मैने सुना है आक्सीजन और हाईड्रोजन तैयार हो गये हैं

अपने ख़ुद के अस्तित्व खो देने के लिये

और एक रासायनिक प्रक्रिया से गुजरने के लिये

ताकि मिल पायें एक दूसरे से ऐसे, कि फिर कोई यूँ ही जुदा न कर सके

और बन सके पानी , एक तीसरी चीज़

दोनो से अलग

 

प्रिये,सुनती हो !

अब वो पानी बन भी चुके हैं

कोई सामान्यतया अब उन्हे अलग नही कर पायेंगे

अच्छा हुआ न ?

 

प्रिये , सुनती हो !

क्यों न हम भी तैयार हो जायें

प्रेम में अपने अपने अस्तित्व को भुलाने के लिये

अपना अपना अहं छोड़ने के लिये

ताकि गुज़र सकें एक रासायनिक प्रक्रिया से ,

जिसे पाणिग्रहण संस्कार कहते हैं

ताकि बन सके एक तीसरी चीज़ , परिवार 

प्यारा परिवार

ता कि अलग न कर सकें कोई किसी सूरत 

प्रिये सुनती हो !

*****************************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 541

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 11, 2014 at 9:33pm

आदरणीया मीना की , आपका शुक्रिया |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 11, 2014 at 9:33pm

आदरनीय बड़े भाई विजय जी , आपने रचना का अनुमोदन कर मेरी रचना को सार्थक कर दिया | सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार

Comment by Meena Pathak on August 11, 2014 at 8:22pm

बहुत बहुत सुन्दर ..सादर बधाई 

Comment by vijay nikore on August 11, 2014 at 7:44pm

 एक दम अनूठा स्वाद है इस रचना का।  आपकी कल्पना को नमन और आपको बधाई, आदरणीय भाई गिरिराज जी।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 11, 2014 at 5:41pm

आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी रचना को आपका आशीष मिला तो रचना सार्थक हुई , आपका आभारी हूँ |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 11, 2014 at 5:40pm

आदरणीय राम भाई , आपका बहुत शुक्रिया ||


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 11, 2014 at 5:40pm

आदरणीय सौरभ भाई , एक प्रयोग के तौर पर की गयी रचना को आपका अनुमोदन मिला तो मन बड़ा उत्साहित हुआ | सराहना के लिए आपका आभारी हूँ |

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 11, 2014 at 5:23pm

मित्र

कालेज में पढा था  i वह फार्मूला अभी तक दिमाग में है पर इससे कविता बन सकती है यह आपने दिमाग में डाला i सुभान अल्लाह i

Comment by ram shiromani pathak on August 11, 2014 at 12:23pm

वाह बहुत ही सुन्दर मिश्रण  हार्दिक बधाई आपको आदरणीय गिरिराज जी । ।   सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 11, 2014 at 3:20am

एच-टू-ओ का यौगिक आज एक नया विस्तार पा गया ! इस अनूठी कविता के लिए बधाई, आदरणीय गिरिराज भाईजी..  :-)))

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