For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

समस्या में समाधान- डा० विजय शंकर

समस्या है ,
समाधान हो जाएगा .
आओ समाधान ढूंढते है ,
कोई न कोई हल मिल जाएगा.
समस्या पुरानी है , जटिल है ,
जड़ से उखाड़ कर फेंक देते हैं .
सुझाव है , विचार करेंगें , पर
इतना क्रूर काम क्यों करेंगें .
समस्या से बात करतें हैं ,
बुलाते हैं , मुलाक़ात करतें हैं .
बुलाया , वो आयी.
अरे ये तुम , ये तो कुछ नहीं ,
ये तो ये है , ये तो वो है ,
ऊंह ! हमीं तो लाये थे इसे .
अरे न न न न ना , चिंता न करो ,
तुम्हारा कोई बाल बांका नहीं होगा .
हम हैं न , तुम्हारी रक्षा करेंगें .
समस्या को अभयदान मिल गया ,
समाधान कूड़ेदान में गया .
वहां से उबरे तो मुखातिब हुए
उन्होंने समझाया , देखो निदान है .
समस्या का तो नहीं, कोई समाधान है .
हम समस्या में समाधान ढूंढ़ेंगें ,
समस्या भी रहेगी , समाधान भी रहेगा .
लोग मिलते जुलते रहेंगें आपस में ,
सब काम होता रहेगा.
सब काम होता रहेगा.


मौलिक एवं अप्रकाशित.
डा० विजय शंकर

Views: 576

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 26, 2014 at 7:40pm

आदरनीय विजय शंकर भाई , सच मे यही तो हो रहा है , इसीलिये आज भी दोनो बदस्तूर ज़िन्दा हैं , समस्या भी और समाधान भी ॥  आपको हार्दिक बधाई इस रचना के लिये ॥

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 24, 2014 at 11:00pm
आदरणीय सुश्री राजेश कुमारी जी ,
आपको कविता पसंद आई. धन्यवाद . सादर.
Comment by Dr. Vijai Shanker on June 24, 2014 at 10:51pm
आदरणीय गोपाल नारायण जी ,
कभी कभी लगता है कि हम समस्याओं से कब लड़तें हैं , सामान्यतः तो हम उनसे समझौता ही करते हैं . आधुनिकता का भी हम स्वागत करते हैं , परन्तु पुरातन चीजों और विचारधाराओं को छोड़ नहीं पाते हैं . हम न कुछ पूरी तरह से अपना पाते हैं और ना ही तज पाते हैं .
आपको कविता पसंद आई. धन्यवाद .

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 24, 2014 at 5:37pm

समस्या को अभयदान मिल गया ,
समाधान कूड़ेदान में गया .
वहां से उबरे तो मुखातिब हुए
उन्होंने समझाया , देखो निदान है .
समस्या का तो नहीं, कोई समाधान है .
हम समस्या में समाधान ढूंढ़ेंगें ,
समस्या भी रहेगी , समाधान भी रहेगा .
लोग मिलते जुलते रहेंगें आपस में ,
सब काम होता रहेगा.
सब काम होता रहेगा.-----आज की कार्य प्रणाली पर जबरदस्त कटाक्ष ,सामयिक प्रस्तुति ,बधाई आपको 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 24, 2014 at 3:34pm

प्रिय भाई

आपने सही कहा समस्या भी रहेगी और समाधान भी रहेगा  i दोनों के को - आरडीनेसन  से ----जय हो i  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"गजल (विषय- पर्यावरण) 2122/ 2122/212 ******* धूप से नित  है  झुलसती जिंदगी नीर को इत उत…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"सादर अभिवादन।"
6 hours ago
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
Jun 7

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Jun 6
Sushil Sarna posted blog posts
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service