For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सीमाओं मे मत बांधो

   सीमाओं मे मत बांधो

 

सीमाओं मे मत बांधो, मैं बहता गंगा जल हूँ ।  

गंगोत्री से गंगा सागर

गजल  सुनाती  आई

गंगा की लहरों से निकली –

मुक्तक  और   रुबाई ।                                

भावों मे डूबा उतराता , माटी का गीत गजल हूँ

सीमाओं मे मत बांधो , मैं बहता गंगा जल हूँ ।

यमुना की लहरों पर –

किसने प्रेम तराने गाये ?

राधा ने  कान्हा संग –

जाने कितने रास रचाए ?

होंगे महल दुमहले कितने, मैं तो ताजमहल हूँ

सीमाओं मे मत बांधो , मैं बहता यमुना जल हूँ ।

मैं कबीर का ढाई आखर,

मेरा   कहाँ   ठिकाना ?

इस दुनियाँ मे लगा हुआ है

सबका   आना – जाना ।  

कबीरा का ताना बाना मैं, ढाका का मल मल हूँ

सीमाओं मे मत बांधो मैं बहता नदिया जल हूँ ।

            --- मौलिक एवं अप्रकाशित     

Views: 816

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 11, 2014 at 11:07pm

आदरणीय सर जी 

सादर 

सीमाओं में किसी को कोई बाँध नहीं सकता जब तक वो स्वयम न चाहे . 

गंगा को प्रदूषित कर दिया 

यमुना और ताज महल का हाल जग जाहिर है 

शानदार रचना का अस्तित्व अपनी जगह बेहतर बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 11, 2014 at 9:41pm

वाह वा !! क्या बात  है , आदरणीय , बहुत सुन्दर गीत रचना  की है , हार्दिक बधाइयाँ ॥

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 11, 2014 at 7:41am

बहुत सुंदर रचना प्रस्तुति आदरणीय ब्रह्मचारी जी, हार्दिक बधाई आपको

Comment by vandana on March 11, 2014 at 5:31am

बहुत सुन्दर रचना आदरणीय संग्रहणीय !!!!

Comment by Meena Pathak on March 10, 2014 at 10:49pm
Behtareen rachna .. Saadar badhai

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आया सफर कब मंजिलों से याद आया।१। देखा जाये तो…"
34 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई शिज्जू शकूर जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। गिरह भी खूब हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया याद तो उन्हें भी आया और शायर को भी लेकिन…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तुम्हें अठखेलियों से याद आया मुझे कुछ तितलियों से याद आया इस शेर की दूसरी पंक्ति में…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"कहाँ कुछ मंज़िलों से याद आया सफ़र बस रास्तों से याद आया. मतले की कठिनाई का अच्छा निर्वाह हुआ।…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई चेतन जी , सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "टपकती छत हमें तो याद आयी"…"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उदाहरण ग़ज़ल के मतले को देखें मुझे इन छतरियों से याद आयातुम्हें कुछ बारिशों से याद आया। स्पष्ट दिख…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"सहमत"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। गुणीजनो के सुझावों से यह और निखर गयी है। हार्दिक…"
3 hours ago
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"मुशायरे की अच्छी शुरुआत करने के लिए बहुत बधाई आदरणीय जयहिंद रामपुरी जी। बदलना ज़िन्दगी की है…"
11 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी, पोस्ट पर आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service