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नवगीत - नव वर्ष से है हम सबको। -- शशि पुरवार

नये वर्ष से है ,हम सबको
उम्मीदें कुछ खास

आँगन के बूढ़े बरगद की
झुकी हरिक डाली
मौसम घर का बदल गया ,

फिर
विवश हुआ माली
ठिठुर रहे है सर्द हवा में
भीगे से अहसास

दरक गये दरवाजे घर के
आंधी थी आयी
तिनका तिनका भी उजड़ गया
बेसुध है माई
जतन कर रही बूढी साँसे
आये कोई पास

चूँ चूँ करती नन्हीं चिड़िया
नयी जगह घबराय
दुनियाँ उसकी बदल गयी है
कौन उसे समझाय
ऊँची ऊँची अटारियों पे
सूनेपन का वास

नए वर्ष के आगमन का
पंछी गाते गीत
बागों की कलियाँ भी झूमे
भौरों का संगीत
नयी ताजगी ,नयी उमंगें
मन में है उल्लास
इस नये वर्ष से है सबको
उम्मीदें कुछ खास।

-- शशि पुरवार

"मौलिक व अप्रकाशित"

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Comment

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Comment by coontee mukerji on January 2, 2014 at 9:34pm

अच्छी प्रस्तुति है, एक ही रचना  में अनेक स्थितियाँ एवं भावनाओं की हिल्लोरें..हार्दिक बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 2, 2014 at 8:49pm

आदरणीया शशि जी , सुन्दर नवगीत रचना के लिये आपको बधाइयाँ ॥ नये साल की भी हार्दिक बधाइयाँ ॥

Comment by MAHIMA SHREE on January 2, 2014 at 8:38pm

नयी ताजगी ,नयी उमंगें
मन में है उल्लास
इस नये वर्ष से है सबको
उम्मीदें कुछ खास।.... बहुत सुंदर गीत आदरणीया शशि जी हार्दिक बधाई आपको सादर /

Comment by vandana on January 2, 2014 at 6:57pm

ठिठुर रहे है सर्द हवा में
भीगे से अहसास...मार्मिक 

खूबसूरत एहसासों से भरी रचना.... सोचने पर मजबूर करती हुई| बधाई आदरणीया शशि जी 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on January 2, 2014 at 5:05pm

आदरणीया शशिजी , नया वर्ष आपके व पूरे परिवार के लिए मंगलदायी  हो॥ सुंदर रचना की हार्दिक बधाई ।

Comment by Shyam Narain Verma on January 2, 2014 at 4:29pm

नये साल की बहुत सारी शुभकामनायें ।

नववर्ष पर सुंदर सकारात्मक रचना हेतु बधाई स्वीकारें .........
Comment by M Vijish kumar on January 2, 2014 at 3:49pm

नववर्ष की हार्दिक बधाइयाँ  

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