For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

माँ !! ( लघु कविता )

माँ !!

 

नेह ममता

लाड़  दुलार

अविस्मरण रूप

स्नेह की गागर

छलकाती ।

 

आँखों मे असंख्य

अबूझ स्वप्न

स्नेह सिक्त

जल धारा बरसाती ।

होती ऐसी माँ !!!..................अन्नपूर्णा बाजपेई 

 

अप्रकाशित एवं मौलिक 

Views: 836

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on October 5, 2013 at 7:40pm

माँ को समर्पित सुन्दर कविता! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 5, 2013 at 11:54am

नेह ममता

लाड़  दुलार

अविस्मरण रूप

स्नेह की गागर

छलकाती ।.......बहुत सुंदर,

सच! माँ से बढकर कोई नही, बहुत बहुत बधाई आदरणीया अन्नपूर्णा जी

Comment by coontee mukerji on October 5, 2013 at 12:45am

ऐसी ही होती है माँ, सुंदर अभिव्यक्ति.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 5, 2013 at 12:04am

सुन्दर और सात्विक कविता के लिए बधाई

Comment by annapurna bajpai on October 4, 2013 at 10:13pm

आदरणीय सुशील जी आपका हार्दिक आभार । 

Comment by Sushil.Joshi on October 4, 2013 at 9:39pm

वाह.... कितनी कम पंक्तियों में माँ के स्वरूप को उजागर कर दिया आपने.... बधाई हो आदरणीया अन्नपूर्णा जी....

Comment by annapurna bajpai on October 4, 2013 at 9:17pm

आदरणीय अनुराग जी बिलकुल सही कहा अपने माँ तेरे बिन मुझको अब कौन संभाले !!! आपकाहार्दिक आभार । 

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on October 4, 2013 at 8:02pm

माँ है तेरे रूप निराले , फिर आँचल की छाँव में सुलाले! अंधेरो में धकेलती ये दुनिया! तेरे बिना मुझे कौन संभाले ! हार्दिक बधाई !  

Comment by annapurna bajpai on October 4, 2013 at 6:51pm

आ0 मीना जी आपका हार्दिक आभार । 

Comment by annapurna bajpai on October 4, 2013 at 6:51pm

आदरणीय बागी जी आपका हार्दिक आभार , आपकी टिप्पणी से मन प्रसन्न हो गया ।

सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
2 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service