For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सेमीनार में “कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न” विषय पर अपना भाषण देकर जब प्रिंसीपल साहिब स्टेज से उतरे तो सभी ओर तालियों की गड़गड़ाहट व वाहवाही गूंज रही थी,  सभी लोग बारी-बारी प्रिंसीपल साहिब को बधाईयां दे रहे थे। इसी क्रम में जब एक जूनियर अध्यापिका ने प्रिंसीपल साहिब को बधाई दी तो उन्हे लगा जैसे किसी ने सरे-बाजार उन्हे नंगा कर दिया हो।

- मौलिक व अप्रकाशित

Views: 1328

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 4, 2013 at 7:13pm

रवि प्रभाकर जी चंद शब्दों में आपने एक कुत्सित मानसिकता की कलई खोल दी ,बिना कहे बहुत कुछ कह गई लघु कथा ,अपना सन्देश देने में रचना पूर्णतः सक्षम है बहुत बहुत बधाई आपको 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on October 4, 2013 at 6:33pm

भाई रवि जी, आपकी लघुकथा पर सुधिजनो ने पहले ही बहुत कुछ कह दिया है, मैं तो केवल एक बात कहना चाहूँगा कि इस विधा को लेकर आपके सारे कॉन्सेप्ट्स बेहद क्रिस्टल क्लियर हैं. आपकी लघुकथा इस बात की साक्षी है, मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारें. 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 4, 2013 at 4:04pm

वाह ...लाजबाब लघु कथा ..सादर बधाई के साथ 

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 4, 2013 at 12:31pm

आदरणीय सर जी वाह बहुत ही बेहतरीन लघुकथा बिना पर्दा उठाये ही आपने पर्दे के पीछे रखी वस्तु दिखा दी. बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.

Comment by बृजेश नीरज on October 4, 2013 at 9:01am

हा,हा,हा,......बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by Sushil.Joshi on October 4, 2013 at 7:40am

हा..हा..... बेहद सुंदर लघुकथा है आदरणीय रवि जी... बधाई हो....

Comment by Meena Pathak on October 4, 2013 at 1:49am

आईने में अपना चेहरा दिख गया प्रिंसिपल साहब को .......बहुत सुन्दर लघुकथा, बधाई आप को 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 4, 2013 at 12:25am

एक अरसे बाद अपने अनुज रवि प्रभाकरजी को मंच पर देखना एक सुखद अनुभूति है. इस उपस्थिति पर मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ.

लघुकथा के लिहाज़ पर इस दमदार तरीके से भाई रविजी को कहते सुनना-पढ़ना रोमांचित कर गया. क्या लघुकथा की सटीक बानग़ी है ! जो कहा वो तो सबके सामने है. मग़र जो न कहा वो ज्यादा सामने है, कुरेदता हुआ.

कथ्य की कसावट और शब्दों के मितव्ययी प्रयोग के बावज़ूद तथ्यों का सटीक संप्रेषण लघुकथाओं का मूल गुण होता है. इस सैद्धांतिकता का इतना सुन्दर निर्वहन इस कथा को सार्थक कर गया है.

दिल से बधाई स्वीकारें, अनन्य अनुज रविजी.
और मंच पर मौज़ूदग़ी बनाये रखें.
शुभ-शुभ

Comment by annapurna bajpai on October 3, 2013 at 9:11pm

आ0 रवि प्रभाकर जी इस सदेश युक्त  लघु कथा हेतु बधाई आपको । 

Comment by Abhinav Arun on October 3, 2013 at 8:13pm

अच्छी लघुकथा ... जो नहीं लिखा वह भी आसानी से समझ में आ रहा है ..अपने सन्देश के साथ इसके लिए विशेष बधाई आपको !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी, अपनी समझ अनुसार मिसरे कुछ यूं किए जा सकते हैं। दिल्लगी के मात्राभार पर शंका है।…"
14 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
28 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
33 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
35 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मनुष्य से आवेग जनित व्यवहार तो युद्धभा में भी वर्जित है और यहां यदा-कदा यही आवेग ही निरर्थक…"
35 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीया रिचा यादव जी आपको मेरा प्रयास पसंद आया जानकर ख़ुशी हुई। मेरे प्रयास को मान देने के लिए…"
43 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपके…"
46 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"2122 - 1122 - 1122 - 112 / 22 हमने सीखा है ये धड़कन की ज़बानी लिखना दिल पे आता है हमें दिल की…"
49 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"बे-म'आनी को कुशलता से म'आनी लिखना तुमको आता है कहानी से कहानी लिखना यह शेर किसी के हुनर…"
50 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय तिलकराज सर, बहुत समय बाद आयोजन के लिए ग़ज़ल कही है। आपको मेरा प्रयास पसंद आया जानकर ख़ुशी…"
55 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय तिलकराज भाईजी, मुझे उचित प्रतीत नहीं होता कि मैं उपर्युक्त संवाद-प्रक्रिया पर कुछ…"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service