२ १ २ २ २ १ २ २ २ १ २
रुक्न --फ़ाइलातुन ,फ़ाइलातुन,फ़ाइलुन
बह्र --रमल मुसद्दस महजूफ
पत्थरों से ज्यों मुहब्बत हो रही
गुगुनाने को तबीयत हो रही
रोज करते थे परेशाँ फूल को
आज भँवरों से अदावत हो रही
क्यों लुभाते हैं नज़ारे ये मुझे
दिल लगाने की हिमाक़त हो रही
घात में बैठे हैं लेकर कैंचियाँ
तितलियों को ये शिकायत हो रही
मैं डुबा दूँ नफरतों की कश्तियाँ
होंसलों की बस जरूरत हो रही
सब पले इक ही नदी के दूध से
भाइयों में क्यों बगावत हो रही
यूँ गिराया है मेरा शीशा- ए- दिल
बस बिखरने की गनीमत हो रही
उड़ चुकी हैं हसरतों की धज्जियाँ
प्यार की सच्ची कहावत हो रही
रहमतों के बोझ से जो झुक गए
बदगुमा उनकी शराफ़त हो रही
'राज' रुपये की कहाँ कीमत बची
देश भर में ये नसीहत हो रही
******************************
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
जितेन्द्र भैया ,प्रतिक्रिया इतनी देर से देखने का खेद है|आपका तहे दिल से बहुत बहुत आभार
आ० वीनस जी ,आज अरसे बाद अचानक अपनी इस पोस्ट पर आपकी प्रतिक्रिया देखकर रुक गई इतना लेट देखने के लिए खेद है |ग़ज़ल पर आपकी तारीफ पाकर अभिभूत हूँ दिल से बहुत बहुत आभार आपका |
आदरणीय शिज्जू शकूर जी बहुत बहुत आभारी हूँ इस और ध्यान आकर्षित करने के लिए सच में दिए तले अँधेरा वाली बात हो गई ,मैं ओ बी ओ को इसी लिए पसंद करती हूँ की आप जैसे जागरूक पाठक मिलते हैं और अपनी त्रुटिओं का भान होता है तहे दिल से शुक्रिया
आदरणीया राज दीदी मै मक्ते में तकाबुले रदीफ की बात कर रहा हूँ,
आदरणीय शिज्जू जी ग़ज़ल आपको पसंद आई मेरे लेखन को सार्थकता मिली इस उत्साह वर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ ,हाँ मक्ते में यदि आपका इशारा राज के नुक्ते से है तो ये मेरा तखल्लुस है इसमें नुक्ता नहीं है
प्रिय महिमा श्री जी ग़ज़ल आपको पसंद आई मेरे लेखन को सार्थकता मिली इस उत्साह वर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ
प्रिय प्राची जी ग़ज़ल आपको पसंद आई ग़ज़ल धन्य हुई इस उत्साह वर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ
आदरणीया विजय श्री जी ग़ज़ल आपको पसंद आई मेरे लेखन को सार्थकता मिली इस उत्साह वर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ
आदरणीय विजय निकोर जी ग़ज़ल आपको पसंद आई मेरे लेखन को सार्थकता मिली इस उत्साह वर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ
प्रिय अरुन शर्मा जी ग़ज़ल आपको पसंद आई मेरे लेखन को सार्थकता मिली दिल से आभारी हूँ
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online