For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोहा २ (जीवन चक्र )

समय बड़ा बलवान है ,देता सबको सीख !
पड़ जाती है माँगनी ,राजा को भी भीख !!१

अपना अपना बोलकर ,भरते अपना पेट !
मानवता भी चढ़ गयी ,यहाँ स्वार्थ की भेंट !!२

जहर उगलते है यहाँ ,आपस में ही लोग!
फिर कैसे सौहार्द हो ,कैसे जाये रोग !!३

अज्ञानी देने लगा ,जबसे सबको ज्ञान !
ऐसे मूर्ख समाज का ,कैसे हो कल्यान !!४

ऊँच नींच कोई नहीं ,सुन ईश्वर पैगाम !
बड़े प्रेम से खा गए ,सबरी के फल राम !!५

पैसे से होती यहाँ ,सबकी अब पहचान !
पैसा ही माँ बाप है ,पैसा ही भगवान !!६

क्या होती है भुखमरी,वो क्या जानें तात !
जिसने काटा ही नहीं ,भूखे दिन या रात !!७

दुनियाँ के बाज़ार में ,एक विचित्र दुकान !
मानव मानव को ठगे ,मानव या शैतान !!८

मानव कितना मूर्ख है ,कर बैठा है भूल !
फूल तोड़ने को चला ,बोया जहाँ बबूल !!९

लोग प्रेम में कर रहे ,देखो अब अनुबंध !
कम ही दिखता है मुझे ,प्यारा मृदु सम्बन्ध !!१०
*************************************************

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 800

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on September 10, 2013 at 7:34pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया प्राची जी ,आपका सुझाव बहुत ही सही है ///स्नेह यूँ ही बनाये आखें //सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 10, 2013 at 7:26pm

प्रिय राम शिरोमणि पाठक जी 

आज आपकी दोहावली पढकर सच में दिल खुश हो गया..हर एक दोहे पर ढेर ढेर सी बधाई लीजिए.

एक बात:

क्या होती है भुखमरी,वो क्या जानें तात !
जिसने काटा ही नहीं ,भूखे दिन या रात !!७...यहाँ काटे कर दिया जाए तो ?

Comment by ram shiromani pathak on September 8, 2013 at 7:44pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय रमेश कुमार जी//सादर  

Comment by ram shiromani pathak on September 8, 2013 at 7:44pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय जवाहर  लाल  जी//सादर  

Comment by रमेश कुमार चौहान on September 8, 2013 at 5:52pm

सुंदर दोहावली, बधाई ....सादर राम शिरोमणि जी!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 8, 2013 at 4:47pm

बहुत ही सुन्दर उपदेश परक शिक्षाप्रद दोहे ....सादर राम शिरोमणि जी!

Comment by ram shiromani pathak on September 8, 2013 at 2:53pm

बहुत  बहुत  आभार आदरणीया  राजेश कुमारी  जी //सादर  

Comment by ram shiromani pathak on September 8, 2013 at 2:52pm

बहुत  बहुत  आभार आदरणीय भाई ब्रिजेश  जी //सादर  

Comment by ram shiromani pathak on September 8, 2013 at 2:51pm

बहुत  बहुत  आभार आदरणीया मंजरी पाण्डेय   जी //सादर  

Comment by ram shiromani pathak on September 8, 2013 at 2:51pm

बहुत  बहुत  आभार आदरणीय जीतेन्द्र  जी //सादर  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार "
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"मेरे कहे को मान देने के लिए आपका आभार।"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आशा है अवश्य ही शीर्षक पर विचार करेंगे आदरणीय उस्मानी जी।"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"गुत्थी आदरणीय मनन जी ही खोल पाएंगे।"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"धन्यवाद आदरणीय उस्मानी जी, अवश्य प्रयास करूंगा।"
21 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"नमस्कार। प्रदत्त विषय पर एक महत्वपूर्ण समसामयिक आम अनुभव को बढ़िया लघुकथा के माध्यम से साझा करने…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीया प्रतिभा जी आपने रचना के मूल भाव को खूब पकड़ा है। हार्दिक बधाई। फिर भी आदरणीय मनन जी से…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"घर-आंगन रमा की यादें एक बार फिर जाग गई। कल राहुल का टिफिन बनाकर उसे कॉलेज के लिए भेजते हुए रमा को…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदाब। रचना पटल पर आपकी उपस्थिति, अनुमोदन और सुझाव हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आपका आभार आदरणीय वामनकर जी।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service