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रूप तुम्हारे -(रवि प्रकाश)

मंदिर-मंदिर सजने वाली,
अक्षत,चंदन-सज्जित थाली।
या तुम कोई दीपशिखा हो,
जिस पर जीवन-जोत लिखा हो।
पूजन कोई नमन पुकारे,
जाने कितने रूप तुम्हारे॥

रात का भीगा अश्रु-कण हो,
नव विहान की प्रथम किरण हो।
तपी दोपहर अलसाई सी,
सन्ध्या थोड़ी सकुचाई सी।
चन्द्रलेख हो पंख पसारे,
जाने कितने रूप तुम्हारे॥

फागुन की मादक बयार भी,
पावस की पहली फुहार भी।
कार्तिक की हल्की सी ठिठुरन,
पौष-माघ की ठण्डी सिहरन।
तुझमें खिलते मौसम सारे,
जाने कितने रूप तुम्हारे॥

यौवन की पहली अँगड़ाई,
याद भरी पहली तन्हाई।
सुबह-सुबह की मीठी झपकी,
गालों पर प्यारी सी थपकी।
बचपन के वो सपन दुलारे,
जाने कितने रूप तुम्हारे॥

पूनम या फिर अमानिशा हो,
दिग्दर्शक या स्वयं दिशा हो।
बाधाओं में पाथेय तुम्ही,
निस्सीम कभी परिमेय तुम्ही।
कभी छलावा,कभी सहारे,
जाने कितने रूप तुम्हारे॥

सुर,लय में कितना बहलाऊँ,
गीतों में कितना गा पाऊँ।
मन ही मन कितना साध सकूँ,
छंदों में कितना बाँध सकूँ।
सँवरे को अब कौन सँवारे,
जाने कितने रूप तुम्हारे॥

मौलिक व अप्रकाशित।

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Comment by Ravi Prakash on September 7, 2013 at 10:44pm
Thanks Mishra Ji
Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 7, 2013 at 3:39pm

आपकी रचना के सर्वोत्तम रचना चुने जाने पर मेरी ओर से हार्दिक बधाई 

Comment by Ravi Prakash on September 6, 2013 at 8:02am
मैं हर्षातिरेक से निःशब्द हो गया हूँ। इतना स्नेह देने के लिए आप सभी विद्वत्जनों को नमन तथा हार्दिक धन्यवाद।
Comment by Abhinav Arun on September 6, 2013 at 1:28am

सुर,लय में कितना बहलाऊँ,
गीतों में कितना गा पाऊँ।
मन ही मन कितना साध सकूँ,
छंदों में कितना बाँध सकूँ।
सँवरे को अब कौन सँवारे,
जाने कितने रूप तुम्हारे॥

... अतीव सुन्दर मंत्रमुग्ध कर देने वाली कविता के लिए हार्दिक बधाई बंधुवर !! बहुत शुभकामनायें !!

Comment by MAHIMA SHREE on September 5, 2013 at 10:39pm

बेहद सुंदर रचना .. आदरणीय रवि प्रकाश जी बहुत बधाई आपकी रचना को महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना से सम्मानित और पुरुस्कृत होने के लिए ..शुभकामनाये


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 24, 2013 at 11:39pm

आपको इस सुखद गीत के लिए हार्दिक बधाई, रवि प्रकाशजी.

आपकी प्रस्तुति से मन प्रसन्न हुआ है.

शुभ-शुभ

Comment by Ravi Prakash on August 15, 2013 at 2:13pm
"सभी विद्वत्जनों का सराहना एवं उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 15, 2013 at 7:44am

जाने कितने रूप तुम्हारे  शब्द चुने हैं प्यारे प्यारे ...अति सुंदर रचना पर बधाई अंदाज आपके कितने न्यारे ....वाकई लाजबाब पढने को बार बार प्रेरित करने वाली शसक्त कृति के लिए ढेरों बधायी

Comment by vijay nikore on August 15, 2013 at 5:20am

मनभावन, सुकोमल रचना।

हार्दिक बधाई, आदरणीय रवि जी।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 14, 2013 at 10:43pm

मन्त्र मुग्ध कर देने वाली बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति 

बहुत बहुत बधाई आ० रवि प्रकाश जी 

कृपया ध्यान दे...

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