For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बर्तन की जाली में एक लोटा और कुछ चम्मच थे | सारे चम्मच लोटा को दुनिया का सबसे अच्छा बर्तन मानते थे, उसकी जय-जयकार करते थे, लोटा हमेशा उनको चमक - दमक की दुनिया से बचने नसीहतें देता था, हमेशा उनको बताता था कि दुनिया वैसी नहीं है जैसी दिखती है, चम्मचों ! परदे के पीछे का खेल देखने की कोशिश किया करो, सच्चाई वहाँ छुपी होती है, बहुत लोग तुमको ऐसी नकली दुनिया में घसीटने की कोशिश करेंगे ऐसे लोगों से दूर रहो,,, और भी जाने क्या क्या .....
किसी ने लोटा को जाली से बाहर निकला और किचन के टाईल्स लगे चमकते दमकते फर्श पर रख दिया,  लोटा लुढक गया ..... चम्मच बहुत दुखी हैं

(नोट - चम्मच कभी स्कूल नहीं गये हैं इसलिए उनको कहावतों के विषय में कोई जानकारी नहीं है)

- वीनस केसरी

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 935

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on July 18, 2013 at 11:53am

अहहा! वाह वीनस भाई! आनंद ही आनंद!
आदरणीय जितनी बार पढ़ रहा हूं मेरी 'दंगनेस' उतनी ही बढ़ रही है। प्रतीकों का ऐसा खूबसूरत प्रयोग मैंने लघुकथा में इससे पहले नहीं देखा।
आपको बधाई नहीं दूंगा। आपको नमन करूंगा। शत् शत् नमन!
सादर!

Comment by वीनस केसरी on July 18, 2013 at 1:17am

हा हा हा
सौरभ जी,
कभी कभी कह देने से मन हल्का हो जाता है .........
सो कह दिया


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 18, 2013 at 12:26am

//चम्मच कभी स्कूल नहीं गये हैं इसलिए उनको कहावतों के विषय में कोई जानकारी नहीं है//

इस अद्भुत प्रतीकात्मक लघुकथा को पढ़ कर दंग हूँ.

लोटे की चमक,  साथी चम्मचों की मुग्धावस्था, लोटे की नसीहतें..  !

किन्तु वाह रे लोटे की जात !?  निकला क्या तो बेपेंदे का !!  

भाईजी, फिर चमकता-दमकता टाइल जरूरी था न.. !?  वर्ना क्या पता चल पाता.. .  :-))

लेकिन लोटा लोटा है, साहब. 

लोटा रंग लायेगा.. . आपबीती सुनायेगा, पर्दे के पीछे की !..  आज के भकुआये सारे चम्मच बिटुरायेंगे,  फिर मुग्ध होंगे.. . .

श्रद्धा-सबुरी.. 

साईं बाबा की जय.. ! 

:-))))))))

Comment by वीनस केसरी on July 17, 2013 at 11:50pm

इसलिए चम्मच हमेशा चम्मच ही रहते हैं लोटा कभी नहीं बन पाते .

मैंने ऐसा कब् चाहा था ...
काश वो कभी लोटा न बनें
लगता है कथा के सम्प्रेषण में कुछ कमी रह गई है ....

Comment by वीनस केसरी on July 17, 2013 at 11:49pm

हार्दिक आभार केवल प्रसाद जी ...

Comment by MAHIMA SHREE on July 17, 2013 at 8:46pm

 चम्मच कभी स्कूल नहीं गये हैं इसलिए उनको कहावतों के विषय में कोई जानकारी नहीं है. :))))) इसलिए चम्मच हमेशा चम्मच ही रहते हैं लोटा कभी नहीं बन पाते ...  बधाई आपको  

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 17, 2013 at 8:18pm

आ0 वीनस भाई जी,    वाह!   बहुत सुन्दर प्रस्तुति। तहेदिल बधाई स्वीकारें।   सादर

Comment by वीनस केसरी on July 17, 2013 at 1:51pm

जी हाँ विजय जी चम्मच तो बस चम्मच हैं ...
बेचारे बहुत दुखी हैं ...

Comment by विजय मिश्र on July 17, 2013 at 1:09pm
चम्मच तो बर्तन वाली जाली में भी स्थिर नहीं रहते ,जहाँ-तहाँ से छिटकते और गीरते-पड़ते रहते हैं ,वीनसजी ,इन्हें तो यह भी नहीं मालूम कि ये बर्तन की श्रेणी में भी नहीं आते .चम्मच तो बस चम्मच है .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
13 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service