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नयन झुकाए मोहिनी, मंद मंद मुस्काय ।
  रूप अनोखा देखके, दर्पण भी शर्माय ।।

नयन चलाते छूरियां, नयन चलाते बाण ।
नयनन की भाषा कठिन, नयन क्षीर आषाण ।।

दो नैना हर मर्तबा, छीन गए सुख चैन ।

मन वैरागी कर गए, भटकूँ मैं दिन रैन ।।

आंसू के मोती कभी, मिलते कभी बवाल ।

नैनों की पहचान में, ज्ञानी भी कंगाल ।।

नयना शर्मीले बड़े, नयना नखरे बाज ।

नयनो का खुलता नहीं, सालों सालों राज ।।

नैनो से नैना मिले, बसे नयन में आप ।

नैना करवाएं सदा, मन का मेल मिलाप ।।

जो नैना नीरज भरें, जीतें मन संसार ।

नैना करके छोड़ दें, सज्जन को बेकार ।।

पल पल मैं व्याकुल हुआ, किया नयन ने वार ।

दो नैनो की जीत थी, दो नैनो की हार ।।

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Comment by seema agrawal on April 4, 2013 at 6:58pm

वाह क्या ही नयन बाज़ी हुयी है अरुण .......एक ही विषय पर अलग अलग अंदाज़ में इतने दोहे एक साथ ...कमाल ही है ये तो ..हर दोहा अपने आप में विशेष भाव लिए हुए 

आंसू के मोती कभी, मिलते कभी बवाल ।

नैनों की पहचान में, ज्ञानी भी कंगाल ।।........क्या बात है वाह 

नयना शर्मीले बड़े, नयना नखरे बाज ।

नयनो का खुलता नहीं, सालों सालों राज........खूबसूरत और पते की बात 

पल पल मैं व्याकुल हुआ, किया नयन ने वार ।

दो नैनो की जीत थी, दो नैनो की हार............बहुत बढ़िया

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 4, 2013 at 5:27pm

आदरणीय एडमिन महोदय एक गुजारिश है कृपया कई को हर में परिवर्तन कर दें सादर आभार.

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 4, 2013 at 5:26pm

आदरणीया प्राची दीदी दोहों पर आपकी सुन्दर टिप्पणी एवं सराहना पाकर ह्रदय गद गद हो गया और मैं ख़ुशी से फूलकर कुप्पा हो गया हूँ. डर है कहीं मोटापा न बढ़ जाए. आशीष और स्नेह यूँ ही बनाये रखें दी हार्दिक आभार सादर.

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 4, 2013 at 5:24pm

आदरणीय मित्रवर संदीप जी आपकी सराहना सर आँखों पर आभार मित्र .

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 4, 2013 at 5:23pm

आदरणीय चौधरी साहब बहुत बहुत शुक्रिया.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 4, 2013 at 4:52pm

आ० अरुण शर्मा जी,

दोहों पर बहुत सुन्दर प्रयास हुआ है...

पल पल मैं व्याकुल हुआ, किया नयन ने वार ।

दो नैनो की जीत थी, दो नैनो की हार ।।.............इस दोहे पर तो बार बार विशेष बधाई लें , बहुत सुन्दर 

दो नैना कई मर्तबा... इस चरण में मात्रा १४ हो रही है.

हार्दिक बधाई इस सुन्दर दोहावली पर.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 4, 2013 at 3:45pm

बहुत सुंदर दोहे मित्रवार
नैनों को ग़ज़ब परिभाषित किया है आपने
बधाई हो आपको

कृपया ध्यान दे...

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